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राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण और पांडुपोल मंदिर का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा:  सुप्रीम कोर्ट 

Suprem Court File Photo

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण और पांडुपोल मंदिर का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि अगर पांडुपोल मंदिर के दर्शन के लिए निर्बाध तरीके से निजी वाहनों के आवाजाही की अनुमति दी गई तो वन्यजीवों को काफी नुकसान होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर विचार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जिसमें सरिस्का जिले के डीएम, प्रोजेक्ट टाइगर के फील्ड डायरेक्टर और सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के एक सदस्य शामिल होंगे। सुनवाई के दौरान इस मामले में कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी के परमेश्वर ने कहा कि कहा कि मंदिर के लिए निजी वाहनों की आवाजाही पर पूरे तरीके से रोक लगाया जाए। उन्होंने श्रद्धालुओं को लाने और ले जाने के लिए इलेक्ट्रिक शटल बसों को चलाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वाहनों के ज्यादा आवाजाही से टाइगर और दूसरे वन्य जीवों के प्रजनन पर असर पड़ता है। परमेश्वर ने टाईगर रिजर्व में स्टाफ की कमी और यहां तक कि फील्ड डायरेक्टर के पद खाली होने का मुद्दा उठाया।

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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा

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