
कन्नौज, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दस साल पहले जिस पक्षी विहार में एक लाख से अधिक पक्षी आते थे, वहां झील के साथ विहार की सुंदरता कम होने से इनकी संख्या घट गई। यह बातें पक्षी विहार घूमने आए बाम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सदस्य व सेवानिवृत्त एडिशनल कमिश्नर कामर्शियल टैक्स रामनिवास चतुर्वेदी ने कही।
सर्दी की शुरुआत होते ही देशी व विदेशी पक्षियों का लाख बहोसी पक्षी विहार में आगमन शुरू हो जाता है। इनको देखने के लिए पर्यटक भी पहुंचते थे। इस बार भी पर्यटक पहुंचने लगे हैं, लेकिन पूर्व के वर्षों के सापेक्ष पक्षियों की संख्या कम है। उमर्दा कस्वा निवासी सेवानिवृत्त एडिशनल कमिश्नर कामर्शियल टैक्स रामनिवास चतुर्वेदी ने कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पक्षी सरंक्षण की ओर ध्यान न होने से पक्षी विहारों का क्षय होता जा रहा है। लाख बहोसी में कभी जलकुम्भी का एक पौधा नहीं था। मगर आज पूरी झील पट गई है। एक छोटा हिस्सा वन विभाग ने पक्षी अवलोकन के लिए साफ करवा दिया है। दो दिन से पक्षियों की संख्या भी बढ़ी है और इस समय 35 हजार के लगभग विदेशी एवं स्थानीय पक्षी दिखाई भी पड़ रहे हैं।
–इस समय 15 प्रवासी व 12 स्थानीय प्रजाति के ही पक्षी
90 के दशक और 10 साल पहले जहां 62 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां यहां एक लाख से अधिक संख्या में आतीं थीं। इस समय केवल 15 प्रवासी और 12 स्थानीय प्रजातियां ही देखी गई। पिनटेल, शावलर, ग्लैडवेल, ग्रे लैग गूज, लेसर हविशलिग टील, काम्ब डक, कामन पोचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, टफ्टेड डक, कामन टर्न मुख्य रूप से यहां आती थीं। कभी लाख बहोसी की शोभा रुडी शेल्डक, सुरखाब पक्षी जो 55-60 एक साथ मिलते थे वह एक भी नहीं थे। पर्पल स्वाम्प हेन 40-50 तो किनारे ही मिल जाती थी वह एक भी नहीं थी। इसी तरह लद्दाख क्षेत्र से आने वाले बार हेडेड गीज एक भी नहीं थे। मार्श हैरियर सदैव डक्स के साथ ही उड़ता नजर आता था वह दिखाई नहीं दिया। रेष्टर्स चार-पांच प्रजातियां इंगल, बजर्ड, हैरियर, हांक सब होते थे। एक भी नहीं दिखा। छिछले पानी में 15-20 प्रजातियां वेडर्स की मिलती थीं केवल दो मिलीं। वारवलर्स, फ्लाईकै चर्स, अरोरा, पिपिट, लार्क को देखने और ढूंढ़ने के प्रयास ही निष्फल रहते हैं।
उन्हाेंने बताया कि पक्षी विहार के लिए एक बड़े बजट की आवश्यकता है। आस पास एकासिया, बबूल के पेड़, जलकुम्भी की सफाई और जानवरों और शिकारियों से सुरक्षा पर व्यय के सर्वेक्षण की आवश्यकता है। श्री चतुर्वेदी ने विभाग के उच्च अधिकारियों को खास ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए स्थानीय राजनेताओ से भी अपेक्षा की है कि वे इस ओर ध्यान दें और लखनऊ दिल्ली में बैठे अफसरों का भी ध्यानाकर्षण करें।
(Udaipur Kiran) झा
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