प्रयागराज, 11 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसपी आजमगढ़ को 16 दिसम्बर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश एसपी द्वारा जिला जज की रिपोर्ट के विपरीत गलत तथ्यों के साथ गुमराह करने वाला हलफनामा दाखिल करने पर दिया है। कोर्ट ने जिला जज आजमगढ़ से भी सम्बंधित मजिस्ट्रेट से स्पष्टीकरण लेकर नई रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने फर्म प्रकाश इलेक्ट्रिकल्स की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि परक्राम्य विलेख अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत नूरूल हसन के खिलाफ इस्तगासा दायर किया गया। कोर्ट ने सम्मन जारी किया। हाजिर न होने पर कई बार जमानती वारंट जारी किया किन्तु अभियुक्त पेश नहीं किया जा सका। तीन साल से अधिक समय बीत गया। कुल बीस तारीखें लगी। जबकि केस नियमानुसार छह माह में तय हो जाना चाहिए।
कोर्ट ने एसपी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था और पूछा जमानती वारंट क्यों तामील नहीं किया गया तथा लापरवाह पुलिस के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
सफाई में एसपी ने कहा 26 जुलाई 24 को जारी वारंट लखनऊ के पते पर कांस्टेबल को भेजा गया। अभियुक्त का पता नहीं चल सका। कोर्ट ने इस हलफनामे को संतोषजनक नहीं माना। ज़िला जज से रिपोर्ट मांगी। जिला जज ने रिपोर्ट दी कि 5 मार्च को पुलिस पैरोकार को वारंट दिया गया था। एसएचओ ने तामील की कोई रिपोर्ट नहीं दी। एसएचओ से सफाई मांगी गई है।
कोर्ट ने कहा कि जिला जज की रिपोर्ट के अनुसार एसपी ने गलत जानकारी दी है या उसके अधीनस्थ अधिकारी ने गुमराह किया है। कोर्ट ने एसपी को तलब करते हुए जिला जज की रिपोर्ट के विपरीत हलफनामा दाखिल करने की सफाई मांगी है। याचिका की अगली सुनवाई 16 दिसम्बर को होगी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे