लखनऊ, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) । इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग और इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमेटिक्स की ‘रिमोट सेन्सिंग फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर: ए रोडमैप टूवर्डस् विकसित भारत’ विषयक वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार ने बुधवार को कहा कि तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्देश्य प्रधानमंत्री के विकसित भारत के लक्ष्य को बल देना और विकसित भारत के सपने को साकार करना है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयासों में सहयोग करना भी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर एवं डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग और इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमेटिक्स की वार्षिक राष्ट्रीय संगोष्ठी का 32 वर्षों के बाद लखनऊ में आयोजन हुआ।
संगोष्ठी में उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि यह तकनीक न केवल जल, वायु और थल संसाधनों के समुचित प्रबंधन में सहायक है, बल्कि कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन और स्मार्ट सिटी प्रबंधन में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की खोज और उनके प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके माध्यम से नवीनतम आंकड़ों का सृजन किया गया है, जिससे जल, वायु और थल जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मॉनिटरिंग और प्रबंधन को सुदृढ़ किया गया है। उन्होंने वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव पंधारी यादव ने कहा कि यह गौरव का क्षण है कि 32 वर्षों बाद लखनऊ में यह संगोष्ठी हो रही है। उन्होंने रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, खेतों और जंगलों की डिजिटल मॉनिटरिंग की सराहना करते हुए इसे प्रदेश की जनता के लिए लाभकारी बताया। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से प्रदेश के युवाओं और शोधकर्ताओं में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने और नवीनतम तकनीकों को समझने का अवसर मिलेगा। यह आयोजन प्रदेश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करेगा कि उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बने।
उप्र रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक और विशेष सचिव एवं शीलधर सिंह यादव ने कहा कि विकसित भारत का सपना, विकसित उत्तर प्रदेश के बिना अधूरा है। प्रदेश में वैज्ञानिक सोच और तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। रिमोट सेंसिंग तकनीक ने प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की खोज और प्रबंधन को एक नई दिशा दी है। यह आयोजन प्रदेश के वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास में एक नयी दिशा प्रदान करेगा तथा देश के नवोन्मेषी दृष्टिकोण को सशक्त करेगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग ने अपने वार्षिक पुरस्कार भी प्रदान किए। इन पुरस्कारों से रिमोट सेंसिंग और जियोमेटिक्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को सम्मानित किया गया। फेलो ऑफ इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग का सम्मान शांतनु भटावडेकर, डॉ. आर.पी. सिंह, डॉ. राजकुमार, प्रोफेसर डॉ. वाई.एस. राव और डॉ. पी.पी. नागेश्वर राव को प्रदान किया गया। भास्कर अवार्ड डॉ. प्रकाश चौहान को प्रदान किया गया। सतीश धवन अवार्ड प्रोफेसर डॉ. अंजना व्यास को प्रदान किया गया। नेशनल जियोस्पेशियल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस डॉ. अनिल कुमार लोहानी और डॉ. राजश्री बोथाले को प्रदान किया गया।
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(Udaipur Kiran) / श.चन्द्र