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कूचबिहार को अलग राज्य घोषित करने की मांग पर रेल रोको आंदोलन से उत्तर बंगाल के चार जिलों में यातायात बाधित

जनजातियों का आंदोलन

कोलकाता, 11 दिसंबर (Udaipur Kiran) । ग्रेटर कूचबिहार पीपल्स एसोसिएशन (जीसीपीए) द्वारा कूचबिहार को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार सुबह असम-पश्चिम बंगाल सीमा के जोड़ाई स्टेशन पर ‘रेल रोको’ आंदोलन शुरू किया गया। आंदोलनकारियों के इस कदम के चलते उत्तर बंगाल के चार जिलों में रेल यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। कई लंबी दूरी की ट्रेनें रोक दी गईं, जबकि कई ट्रेनों को रद करना पड़ा। इनमें वंदे भारत एक्सप्रेस भी शामिल है।जीसीपीए की लंबे समय से मांग है कि कूचबिहार को अलग राज्य का दर्जा दिया जाए। इस मुद्दे पर संगठन ने बुधवार को फिर से अपना आंदोलन तेज कर दिया। सुबह होते ही संगठन के नेता बंशी मदन के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता जोड़ाई स्टेशन पर ट्रैक पर बैठ गए। आंदोलनकारियों ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, आंदोलन जारी रहेगा।रेलवे सूत्रों के मुताबिक, इस आंदोलन के चलते अप और डाउन वंदे भारत एक्सप्रेस, गुवाहाटी-न्यू जलपाईगुड़ी और बंगाईगांव-न्यू जलपाईगुड़ी एक्सप्रेस सहित चार ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। वहीं, डिब्रूगढ़-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, अरुणाचल एक्सप्रेस और गुवाहाटी-नई दिल्ली एक्सप्रेस को फकीराग्राम, गोलकगंज और न्यू कूचबिहार होते हुए अन्य मार्गों से चलाया गया।इस आंदोलन के कारण हजारों यात्री मुश्किल में पड़ गए। रेलवे ने यात्रियों की मदद के लिए विभिन्न स्टेशनों पर हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं। फिर भी, यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। कूचबिहार को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग काफी पुरानी है। हालांकि, राज्य सरकार या केंद्र सरकार की ओर से इस पर अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। आंदोलनकारियों का कहना है कि उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है।दूसरी ओर रेलवे प्रशासन और राज्य सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। यात्रियों को राहत देने के लिए वैकल्पिक मार्गों से ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन स्थिति अभी भी सामान्य नहीं है। उत्तर बंगाल में इस आंदोलन से न केवल यात्री बल्कि व्यापार और अन्य गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार और रेलवे इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और आंदोलनकारियों की मांगों पर क्या रुख अपनाते हैं।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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