Uttar Pradesh

अधिवक्ताओं को सकारात्मक दृष्टिकोण और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा : न्यायमूर्ति रणविजय सिंह

अधिवक्ता दिवस

प्रयागराज, 08 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । भारत विकास परिषद, प्रयाग शाखा की ओर से सिविल लाइन स्थित एक होटल में ‘अधिवक्ता दिवस’ के अवसर पर मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रणविजय सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझकर अधिवक्ताओं को अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा।

उन्होंने भारत के प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेंद्र प्रसाद के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी तरह सत्य निष्ठा, समर्पण, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा अधिवक्ताओं के लिए आवश्यक है।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल ने परिषद के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वंचित वर्ग के उत्थान तथा भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के अनुसार शिक्षा के लिए परिषद ने बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किया है। इस संदर्भ में अनेक परियोजनाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा आज के समय में अधिवक्ताओं की भूमिका समाज में काफी महत्वपूर्ण हो गई है और ऐसे में परिषद के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को विधिक परामर्श देना आवश्यक है।

इस अवसर पर वरिष्ठ सीए डॉ नवीन चंद्र अग्रवाल ने भारत विकास परिषद, प्रयाग शाखा के संस्थापक सदस्य रामेश्वर प्रसाद गोयल और शाखा के प्रथम अध्यक्ष न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा का संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत किया। उनकी स्मृति में सम्मान के रूप में प्रतीक चिह्न और शाल देकर मुख्य अतिथि ने नवीन सिन्हा और अशोक मेहता को सम्मानित किया। नवीन सिन्हा को रामेश्वर प्रसाद गोयल स्मृति सम्मान तथा अशोक मेहता को न्यायमूर्ति जे.एम.एल. सिन्हा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।

डॉ उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रयाग शाखा की अध्यक्ष डॉ. अल्पना अग्रवाल ने अधिवक्ता दिवस मनाने के औचित्य पर प्रकाश डाला। संचालन सचिव डॉ. विवेक भदौरिया ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक वरिष्ठ अधिवक्ता आर पी अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में चंद्र मोहन भार्गव, रेलवे बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जीके खरे, राजीव अग्रवाल, शरद गुप्ता, डॉ रितेश अग्रवाल, डॉ हर्षमणि सिंह, अजय प्रताप सिंह, राकेश मित्तल, डॉ पुरुषोत्तम दास केसरवानी, प्रो पूनम मित्तल, अशोक मित्तल, टीपी शुक्ला सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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