Jammu & Kashmir

जम्मू विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सभी भाषाओं के लिए समान सम्मान पर जोर दिया गया

जम्मू विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में सभी भाषाओं के लिए समान सम्मान पर जोर दिया गया

जम्मू, 8 दिसंबर (Udaipur Kiran) । भाजपा के वरिष्ठ नेता और समाधान फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक पवन शर्मा ने रविवार को सभी भारतीय भाषाओं के लिए समान सम्मान का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी भाषा को न तो थोपा जाना चाहिए और न ही उसका विरोध किया जाना चाहिए। जम्मू विश्वविद्यालय के डीएसआरएस विभाग में श्री अभिनव गुप्त अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित भारतीय भाषाओं पर चिंतन और उनकी भावी दिशा नामक कार्यक्रम में बोलते हुए शर्मा ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में भाषाई विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला।

प्रसिद्ध लेखक और विचारक एडवोकेट नरेश कुमार रैना ने मुख्य भाषण दिया जिसमें उन्होंने संवैधानिक प्रावधानों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की ओर ध्यान आकर्षित किया जो भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। इस कार्यक्रम में संस्कृत, डोगरी, हिंदी, पंजाबी और अन्य विभागों के छात्रों और विद्वानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कई विद्वानों ने शिक्षा प्रणाली में भारतीय और क्षेत्रीय भाषाओं की उपेक्षा पर चिंता जताई। हिंदी स्नातकोत्तर छात्र अमरेश चौहान ने हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के बावजूद हिंदी शिक्षण पदों के लिए सरकारी भर्ती की कमी की आलोचना की। संस्कृत की वरिष्ठ विद्वान कोमल परिहार ने वैज्ञानिक भाषा के रूप में संस्कृत की वैश्विक मान्यता को रेखांकित किया लेकिन प्राथमिक शिक्षा में इसकी अनुपस्थिति और अपर्याप्त रोजगार के अवसरों पर दुख जताया। इसी तरह सुदर्शन डोगरा ने हाल ही में सरकारी भर्ती अभियानों में डोगरी को शामिल न किए जाने पर प्रकाश डाला जबकि अमनदीप कौर ने पंजाबी विद्वानों के लिए बेहतर करियर संभावनाओं का आह्वान किया।

अपने संबोधन में शर्मा ने सरकार से भारतीय भाषाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने इन भाषाओं के अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक और प्रशासनिक पदों के सृजन की वकालत की जो कि एनईपी 2020 में मातृभाषाओं में शिक्षा पर जोर देने के साथ संरेखित है। शर्मा ने टिप्पणी की कि युवाओं को सशक्त बनाने और भारत की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने के लिए भाषाई विविधता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

एडवोकेट रैना ने भाषा शिक्षा में असमानताओं को दूर करने के लिए नीतिगत सुधारों की आवश्यकता पर भी जोर दिया और सरकार से क्षेत्रीय भाषाओं में व्याख्याताओं और अन्य भूमिकाओं के लिए भर्ती को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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