– बुंदेलखंड के जनमानस के हर्ष और उल्लास अभिव्यक्ति है राई
भोपाल, 7 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जनजातीय संग्रहालय में नृत्य-गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि संभावना का आयोजन किया जा रहा है। इसमें शनिवार को रीना नरेंद्र पवार, बुरहानपुर द्वारा बंजारा लोकनृत्य, अजय भाई लिधोरा, सागर द्वारा राई नृत्य एवं सुदीप गुप्ता एवं साथी (कोलकाता) द्वारा कठपुतली प्रदर्शन किया गया।
शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन एवं कलाकारों के स्वागत से की गई। कलाकारों का स्वागत निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के निदेशक डॉ. धर्मेंद्र पारे द्वारा किया गया। इसके बाद रीना (बुरहानपुर) द्वारा बंजारा लोक नृत्य से की गई। यह नृत्य होली एवं सावन तीज पर किया जाता है, जिसमें थाली नृत्य और मटकी नृत्य भी शामिल होता है।
सागर के लिधोरा द्वारा राई नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य बुंदेलखंड के जनमानस के हर्ष और उल्लास की अभिव्यक्ति है। इस नृत्य में कलाकार फाग गाकर नृत्य करता है। राई के गीत ख्याल, स्वांग आदि और भी कई प्रकार के होते हैं। मृदंग की थाप पर घुंघरुओं की झंकार राई और उसके साथ नृत्यरत स्वांग मनोरंजन के साथ परम्परा को भी प्रदर्शित करते हैं। राई नृत्य के साथ यहां मुख्यतः सुप्रसिद्ध लोक कवि ईसुरी की फाग भी गाई जाती हैं। अगले क्रम में श्री सुदीप गुप्ता एवं साथी (कोलकाता) ने कठपुतली प्रदर्शन में अलग-अलग कहानियों के साथ पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण एवं मानव के बीच का जीवन्त संबंध दिखाया। साथ ही प्रकृति संरक्षण का संदेश भी दिया। कहानी में बताया कि एक हरा-भरा पेड़ प्रकृति की हरियाली में गर्व से खड़ा है और मधुमक्खियां उसके चारों ओर घूमती हैं और उससे शहद ग्रहण करती हैं। एक दिन एक लालची आदमी आता है… वह अपनी आरी निकाल कर उस पेड़ को काटने लगता है और यह काम करते-करते उसकी आरी टूट जाती है। तब उसे प्रकृति को ठेस पहुंचाने का एहसास होता है और वह पश्चाताप करता है।
(Udaipur Kiran) तोमर