नई दिल्ली, 7 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पूजा स्थल अधिनियम 1991 पर सुनवाई के लिए सुप्रीम के सहमत होने का जमीअत उलमा-ए-हिंद ने स्वागत किया है।
जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इसे एक आशाजनक कदम बताते हुए कहा कि हमें विश्वास है कि न्याय की जीत फिर से होगी।
मौलाना मदनी ने कहा कि 1991 के कानून के होते हुए भी कुछ लोगों द्वारा फिर से झूठ और नफरत का यह दरवाजा खोला गया है और देश की शांति, सौहार्द एवं आपसी भाईचारे में आग लगाने की कोशिश की जा रही है। मुसलमानों के सभी महत्वपूर्ण पूजा स्थलों और दरगाहों पर मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। वर्ष 1991 का कानून इसलिए बनाया गया था कि किसी को माहौल खराब करने का कोई अवसर ना मिल सके, लेकिन इस कानून का उल्लंघन किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कि जमीअत की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एजाज मकबूल के लिखे पत्र के संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश ने इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई एक विशेष पीठ के समक्ष करने का आदेश जारी किया है। जमीअत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन और वृंदा ग्रोवर पैरवी करेंगे।
संभल प्रकरण की पृष्ठभूमि में पूजा स्थलों की सुरक्षा पर कानून के संबंध में जमीअत उलमा-ए-हिंद द्वारा पहले से दायर याचिका पर 12 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई पर समय की कमी के कारण मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई स्थगित करने का आदेश जारी किया था। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अनुरोध पर मुख्य न्यायाधीश ने 12 दिसंबर को विशेष पीठ द्वारा सुनवाई करने का निर्देश दिया।
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(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद