Uttrakhand

स्वास्थ्य, अध्यात्म और सेवा का संगम, आरोग्य भारती की कार्यशाला से नई ऊर्जा का संचार 

मुनि की रेती में आयोजित आरोग्य भारती की

– मुनि की रेती पर स्वामीनारायण आश्रम में दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ

– कार्यशाला में उत्तर भारत के 11 प्रांतों से आए 61 कार्यकर्ताओं ने लिया भाग

– आध्यात्मिक स्वास्थ्य कार्यशाला से जीवन को नई दिशा देने की अनूठी पहल

ऋषिकेश, 07 दिसंबर (Udaipur Kiran) । मुनि की रेती पर स्वामीनारायण आश्रम में शनिवार को आरोग्य भारती की दो दिवसीय आध्यात्मिक स्वास्थ्य कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस कार्यशाला में उत्तर भारत के 11 प्रांतों से आए 61 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। मेरा स्वास्थ्य, मेरा उत्तरदायित्व की प्रेरणा के साथ यह कार्यशाला समाज में स्वास्थ्य और अध्यात्म के संतुलन को बढ़ावा देने का संदेश दे रही है। गंगा के पवित्र तट पर होने वाली यह कार्यशाला जीवन को संतुलित, स्वस्थ और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश पंडित ने कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कहा कि स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र को स्वस्थ बनाने का आधार है। उन्होंने बताया कि आरोग्य भारती परिवार, पर्यावरण और प्रकृति को स्वस्थ रखने के लिए अनेक गतिविधियां संचालित कर रही है।

डॉ. पंडित ने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाए तो पूरे परिवार, ग्राम, और अंततः राष्ट्र को स्वस्थ बनाया जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से अपने ज्ञान और अनुभव को समाज के साथ साझा करने का आग्रह किया।

गीता के संदेश से आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर जोर

शिवानंद आश्रम के महासचिव स्वामी अद्वैतानंद ने अपने वक्तव्य में भगवद्गीता के संदेश को आध्यात्मिक स्वास्थ्य से जोड़ते हुए कहा कि शरीर और मन के साथ आत्मा का स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होने तक सीमित नहीं है। उसमें परोपकार, सेवा और अध्यात्म का समावेश होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि निष्काम कर्म और सेवा का भाव न केवल आध्यात्मिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन को उद्देश्यपूर्ण बनाता है।

चरित्र निर्माण पर फाेकस

स्वामी अद्वैतानंद ने कहा कि चरित्र निर्माण स्वास्थ्य और अध्यात्म का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने क्रोध, कुसंग और नकारात्मक विचारों से बचने पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों से नित्य प्रार्थना, प्राणायाम, व्यायाम और सकारात्मक विचारों को अपनाने का आह्वान किया।

स्वस्थ समाज निर्माण के लिए मिलकर कार्य करने की जताई प्रतिबद्धता

कार्यक्रम में टीबी उन्मूलन, योग, और आयुर्वेदिक स्वास्थ्य योजनाओं पर चर्चा की गई। प्रतिभागियों ने स्वस्थ समाज निर्माण के लिए मिलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई। इस दौरान आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक वार्ष्णेय, प्रांत अध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार मित्तल, प्रांत सचिव डॉ. संजय त्रिपाठी समेत अनेक गणमान्य चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

पांच यज्ञों का महत्व

स्वामी अद्वैतानंद ने देव यज्ञ, ऋषि यज्ञ, पितृ यज्ञ, भूत यज्ञ और अतिथि यज्ञ के पालन की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, ये यज्ञ हमारे जीवन और समाज में संतुलन लाते हैं।

स्वास्थ्य, संस्कार और अध्यात्म को एक साथ लाने का प्रयास

कार्यक्रम का संचालन ऋषिकेश आरोग्य भारती के अध्यक्ष डॉ. शशि कंडवाल ने किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला ने स्वास्थ्य, संस्कार और अध्यात्म को एक साथ लाने का प्रयास किया है। प्रतिभागियों ने इसे प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक बताया।

कार्यशाला के खास पहलू

ज्ञान और अनुभव का संगम : कार्यशाला में योग, ध्यान, प्राणायाम और आयुर्वेद पर आधारित व्याख्यान होंगे। विशेषज्ञ प्रतिभागियों को आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने के सरल और प्रभावी तरीकों से अवगत कराएंगे।

गंगा आरती और सांस्कृतिक जुड़ाव : गंगा की पावन आरती और लक्ष्मण झूला जैसे दर्शनीय स्थलों का अनुभव प्रतिभागियों के लिए कार्यशाला को और खास बनाएगा।

प्राकृतिक सौंदर्य के बीच आत्मिक शांति : ऋषिकेश के शांत वातावरण में यह कार्यशाला प्रतिभागियों को प्रकृति के करीब लाएगी, जिससे आत्मिक शांति और ऊर्जा का अनुभव होगा।

कार्यशाला के आकर्षण

योग, ध्यान और प्राणायाम की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग।

गंगा तट पर ध्यान सत्र।

अनुभवी वक्ताओं और विशेषज्ञों के साथ संवाद।

भारतीय सनातन परंपराओं पर आधारित स्वस्थ जीवनशैली के टिप्स।

प्राकृतिक और सांस्कृतिक सौंदर्य का अनुभव।

(Udaipur Kiran) / विक्रम सिंह

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