शिमला, 07 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में लगभग 14 प्रतिशत आबादी मोटापे से प्रभावित है। यह करीब 10.5 लाख लोगों का आंकड़ा है। हालांकि शिमला जैसे पहाड़ी इलाकों में वातावरण अच्छा होने और शारीरिक गतिविधियों की अधिकता के कारण मोटापे की समस्या अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल और गोवा जैसे राज्यों में यह समस्या अधिक गंभीर हो गई है। यह जानकारी आईजीएमसी के संरक्षक डॉ. रणदीप वधावन ने शनिवार को यहां पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
उन्होंने कहा कि मोटापे के बढ़ते मामलों व इसके समाधान के उपायों पर चर्चा के लिए जनरल सर्जरी विभाग आईजीएमसी शिमला और ओबेसिटी सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इसका मकसद लोगों को मोटापे के प्रति जागरूक करना है।
डॉ. रणदीप वधावन ने बताया कि भारत में ओबेसिटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में लगभग 5 प्रतिशत जनसंख्या मोटापे का शिकार है। यदि हम देश की कुल जनसंख्या को देखें, तो यह आंकड़ा करीब 7 करोड़ लोगों का है। साथ ही डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या भी लगभग उतनी ही है।
डॉ. रणदीप ने यह भी बताया कि ओबेसिटी का इलाज केवल सर्जरी तक सीमित नहीं है। इसके लिए जीवनशैली में बदलाव, स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और मेडिकल ट्रीटमेंट जैसे कई उपाय मौजूद हैं। उन्होंने ओबेसिटी सर्जरी के क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें एंडोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी शामिल हैं।
इस दौरान आयोजन अध्यक्ष डॉ. विवेक बिंदल और सचिव डॉ. पुनीत महाजन ने कहा कि आजकल खराब खानपान की आदतों और मोबाइल के अत्यधिक स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों में ओबेसिटी के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांवों में बच्चों की पसंदीदा खाद्य वस्तुएं चिप्स और बिस्कुट हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी जीवनशैली में सुधार करें और स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा