कोलकाता, 5 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को ‘वक्फ बोर्ड’ की तर्ज पर ‘सनातन बोर्ड’ बनाने की मांग की। इस प्रस्ताव ने राज्य में राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।कोलकाता के रानी रासमोनी रोड पर एक सनातनी जनसभा को संबोधित करते हुए अधिकारी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के हिंदुओं को पड़ोसी देश में हो रहे अत्याचारों से सबक लेना चाहिए। अधिकारी ने कहा, “जिस प्रकार वक्फ बोर्ड भारत में मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा करता है, उसी प्रकार देश में हिंदुओं के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए एक समर्पित ‘सनातन बोर्ड’ की आवश्यकता है।”अधिकारी की इस मांग ने धार्मिक पहचान और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर पहले से चल रहे राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जिससे अधिकारी जुड़े हैं, लंबे समय से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर मुस्लिम वोटरों को तुष्टिकरण के आरोप लगाती रही है। टीएमसी ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है।भाजपा के कई नेताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि इससे हिंदू संस्कृति, धार्मिक प्रथाओं और मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। लेकिन, तृणमूल कांग्रेस ने इसे सांप्रदायिक विभाजन बढ़ाने की कोशिश बताया है।टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने अधिकारी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह केवल सांप्रदायिक तनाव भड़काने और राजनीतिक लाभ लेने का एक प्रयास है। पश्चिम बंगाल हमेशा से सांप्रदायिक सद्भाव की भूमि रही है, और हम किसी को भी इस शांति को भंग नहीं करने देंगे।”
बीरभूम में भी विरोध प्रदर्शन
कोलकाता की तरह ही बीरभूम जिले में भी हिंदू संगठनों की ओर से विरोध रैली निकाली गई। इसमें सैकड़ो की संख्या में साधु संतों ने हिस्सा लिया और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही मजहबी बर्बरता को रोकने की मांग की। इसमें इस्कॉन के पूर्व साधु चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की भी मांग उठी।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर