HimachalPradesh

‘पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय पुनरूत्थान’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित

आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख प्रताप समयाल

शिमला, 05 दिसंबर (Udaipur Kiran) । व्यास अध्ययन केंद्र फागली द्वारा गुरुवार को डॉ. हेडगेवार भवन के सभागार में ‘पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय पुनरूत्थान’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कोटशेरा महाविद्यालय और संस्कृत महाविद्यालय फागली के लगभग 90 छात्रों ने भाग लिया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रो. खेमचंद ठाकुर इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे जबकि आरएसएस के प्रांत प्रचार प्रमुख प्रताप समयाल मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

प्रताप समयाल ने अपने उद्बोधन में देश के पुनरूत्थान के लिए ‘पंच परिवर्तन’ के पांच महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की। उन्होंने सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, स्वत्व का भाव, नागरिक कर्त्तव्य और कुटुम्ब प्रबोधन के महत्व को बताते हुए कहा कि इन सभी पहलुओं पर काम करने से ही देश का समग्र विकास संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को अपनी प्राचीन धरोहर और योग जैसे योगदान पर गर्व करना चाहिए और इसे दुनिया में फैलाना चाहिए।

सामाजिक समरसता पर उन्होंने कहा कि भारत को मजबूत बनाने के लिए हमें समाज में जातीय भेदभाव समाप्त कर एकजुट होना होगा। सभी का जलाशय, देवालय, शमशान एक होने चाहिए। ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से हमें सामाजिक समरसता का संदेश देना है।

पर्यावरण संरक्षण पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि हम पॉलीथीन हटाएं, पानी बचाएं और पेड़ लगाएं। सामूहिक प्रयासों से ही हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।

स्वत्व का भाव पर उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास समृद्ध है, और हमें अपने देश की प्राचीन धरोहर और योगदान को समझना चाहिए। योग भारत की एक अद्वितीय देन है, जिसे पूरी दुनिया मान्यता देती है।

नागरिक कर्त्तव्य पर उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, और हमारा संविधान विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों को अपने कर्त्तव्यों को समझना और पालन करना जरूरी है।

कुटुम्ब प्रबोधन पर उन्होंने संयुक्त परिवार की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि हिन्दू आदर्श परिवार के सिद्धांतों पर विचार करना चाहिए। सामूहिक भोजन, भजन और भ्रमण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इन विषयों को लेकर छात्रों ने कई सवाल भी किए और मुख्य वक्ता की तरफ से उनका समाधान भी सुझाया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. खेमचंद ठाकुर ने पंच परिवर्तन के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताया। उन्होंने छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और प्राचीन ज्ञान के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला और आह्वान किया कि वे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन वेदों का अध्ययन करें।

—————

(Udaipur Kiran) शुक्ला

Most Popular

To Top