जयपुर, 3 दिसंबर (Udaipur Kiran) । जनजातीय गौरव दिवस वर्ष 2024 के उपलक्ष्य में आयोजित आदि महोत्सव, आदिवासी कला, संस्कृति, और परंपराओं का अद्वितीय उत्सव, शिल्पग्राम, जवाहर कला केंद्र जयपुर में चल रहा है। यह 10 दिवसीय महोत्सव ट्राइफेड, जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के रीजनल ऑफिस जयपुर द्वारा एवं टीआरआई, उदयपुर, केंद्रीय संचार ब्यूरो भारत सरकार और नगर निगम ग्रेटर जयपुर के सहयोग से 29 नवंबर से आठ दिसंबर 2024 तक जयपुर में आयोजित किया जा रहा है।
महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या विशेष आकर्षण का केंद्र रही हैं। राजस्थान के जनजातीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पद दंगल और आदिवासी लोकगीत ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। पद दंगल में कलाकारों ने पौराणिक कथाओं का विवरण प्रस्तुत किया। इस नृत्य में धार्मिक कथाओं को रंगीन वेशभूषा और संगीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
इस के साथ केंद्रीय संचार ब्यूरो, भारत सरकार के माध्यम से आये मालाणी कला केंद्र बाड़मेर के कलाकारों ने राजस्थानी लोक गीत और नृत्यों जैसे तराजू नृत्य, चरी नृत्य से दर्शकों का मन मोह लिया और इन कलाकारों के द्वारा ढोलक करतल के साथ की गयी जुगलबंदी ने सभी दर्शको को प्रभावित किया। आदिवासी कलाकारों ने विभिन्न पारंपरिक गीतों के माध्यम से अपनी सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया।
महोत्सव में 100 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जहां देशभर के आदिवासी शिल्पकार अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं। उत्तराखंड के ऊनी वस्त्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की डोकरा आर्ट, लद्दाख का पशमीना शॉल, गुजरात की बांधनी साड़ियां, और राजस्थान की जयपुरी मीनाकारी जैसे उत्पाद विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। प्रधानमंत्री वन धन योजना के तहत तैयार किए गए जैविक उत्पादों, जैसे शहद, हर्बल तेल, और सुपरफूड्स को भी दर्शकों ने खूब सराहा। इन उत्पादों की गुणवत्ता और उपयोगिता ने दर्शकों को खरीदारी के लिए प्रेरित किया।
महोत्सव में महाराष्ट्र के प्रसिद्ध आलू बोंडा, पूरन पोली, वडा पाव, मसाला भात – कढ़ी और थाल पीठ, यहां आने वाले हर व्यक्ति को खासा लुभा रही है। दर्शकों ने इन व्यंजनों की न केवल तारीफ की, बल्कि अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह आयोजन भारत के अलग अलग राज्यों के पारम्परिक व्यंजनों को उन्हें जयपुर में चखने का मौका दे रहा है। महोत्सव में आए दर्शकों ने इसे अद्वितीय अनुभव बताया। एक आगंतुक से हुए संवाद में उन्होंने कहा, यहां आने से हमें आदिवासी जीवन और उनकी परंपराओं को करीब से समझने का मौका मिला। हमने कई उत्पाद खरीदे और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लिया।
कई दर्शकों ने आदिवासी कारीगरों की मेहनत और उनके उत्पादों की उत्कृष्टता की सराहना की। विशेष रूप से, वन धन योजना के उत्पादों की गुणवत्ता ने लोगों को प्रभावित किया। आदि महोत्सव प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात नाै बजे तक शिल्पग्राम, जवाहर कला केंद्र, जयपुर खुला रहता है। सांस्कृतिक संध्याएं शाम छह बजे से शुरू होती हैं।
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(Udaipur Kiran) / रोहित