Uttar Pradesh

बांग्ला देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में हिन्दुओं ने भरी हुंकार, जुलूस निकाल किया प्रदर्शन 

बांग्ला देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में हिन्दुओं ने भरी हुंकार,जुलूस निकाल किया प्रदर्शन

-संतों के नेतृत्व में सड़कों पर उतरे हिन्दू संगठनों के लोग

चित्रकूट,03 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । बांग्लादेशी हिन्दू रक्षा समिति चित्रकूट द्वारा बांग्लादेश में हिंदुओं तथा अन्य सभी अल्पसंख्यकों पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा हमले, हत्या, लूट, आगजनी तथा महिलाओं पर किये जा रहे अमानवीय अत्याचार के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में चित्रकूट के हिन्दुओं का भी विशाल जनसैलाब बांग्ला देश के विरोध में आगे आ गया। यह जन सैलाब मुख्यालय में जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही राष्ट्रपति को ज्ञापन जिलाधिकारी चित्रकूट के जरिये सौंपा।

इस मौके पर कामतानाथ मंदिर चित्रकूट के महंत मदन गोपाल दास महाराज व भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार पर कड़ी नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बांग्लादेशी हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। संतों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कोई निर्णय न लिया तो संत समाज शस्त्र उठाने को मजबूर होगा।

मंगलवार को मुख्यालय के रामलीला मैदान में एकत्रित हुए साधु-संतों एवं हिन्दू संगठनों के लोगों ने सर्वप्रथम बांग्लादेश में हिन्दुओं की स्थिति पर चर्चा की। इसके बाद मुख्यालय के पुरानी बाजार से होते हुए धनुष चौराहा,पटेल चौराहा होते हुए बांग्लादेश मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए हिन्दुओं का जुलूस कर्वी तहसील परिसर पहुंचा। इसके बाद राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन को सौंपा गया।

कार्यक्रम में कामतानाथ मंदिर के महंत मदन गोपाल दास महाराज, भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास महाराज,गायत्री शक्ति पीठ के डा0रामनारायण त्रिपाठी आदि ने कहा कि बांग्लादेश के अंदर जिस प्रकार से हिंदू संस्कृति के मानबिंदु हिंदू देवालयों पर लक्षित हमले हो रहे हैं वह अत्यंत चिंताजनक है। वर्तमान की बांग्लादेश सरकार तथा उसकी अन्य एजेंसियां इसे रोकने के स्थान पर केवल मूकदर्शक बन करके बैठी हुई हैं। विवशतावश बांग्लादेश के हिंदुओं द्वारा स्वरक्षण हेतु लोकतांत्रिक पद्धति से उठाई गई आवाज को दबाने हेतु उन्हीं पर अन्याय व अत्याचार का नया दौर उभर रहा है। अभी तुरन्त के घटनाक्रम में बांग्लादेश में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन के सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु जी को बांग्लादेश सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से गिरफ्तार करना, उनको बंद करना, उनकी आवाज को दबाने की कुचेष्टा करना अलोकतांत्रिक व अमानवीय है। हिंदू समाज के मानवाधिकारों का हनन भी है।

संतों ने कहा कि हम प्रारंभ से ही यह मांग कर रहे हैं कि बांग्लादेश में जो घटनाक्रम चल रहा है उसमें वामपंथी इस्लामिक तत्वों के साथ मिलकर वहां के हिंदू समाज का दमन कर रहे हैं। यह दुर्भाग्य की बात है कि पूरे विश्व के वैश्विक संगठनों ने इस घटनाक्रम पर जितनी चिंता व्यक्त करनी चाहिए थी, जैसी रोक लगनी चाहिए थी वैसी रोक नहीं लगाई है। भारत सरकार का प्रतिउत्तर इस विषय में बहुत ही सावधानीपूर्वक और न्यूनतम रहा है। एक संप्रभु देश की स्वायत्तता को किसी प्रकार से चुनौती देना दूसरे देश की सरकार के लिए ठीक नहीं है, परंतु एक बड़े हिंदू समुदाय का इस प्रकार का उत्पीड़न पूरा विश्व सारे पड़ोसी देश व भारत सरकार सिर्फ देखते रहें और कुछ भी कार्यवाही नहीं करें यह भी स्वीकार नहीं है।

संतों ने कहा कि भारत सरकार की अग्रणी भूमिका में विश्व समुदाय इन सब घटनाओं को अपने संज्ञान में लेते हुए बांग्लादेश सरकार के ऊपर दबाव बनायें कि हिंदुओं के ऊपर उत्पीड़न व अत्याचार एवं देवालयों को लक्षित करके निशाना बनाए जाने की घटनाओं को तत्काल रोकें और तुरंत प्रभाव से इस्कॉन के मुख्य पुजारी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु जी की तत्काल रिहाई की जाए । इसके साथ ही किसी भी हिंदू नेता, हिंदू पुजारी, हिंदू संत, धार्मिक गुरु को बिना किसी कारण से गिरफ्तार करने की उत्पीडनात्मक कार्यवाही बंद हो। इस दिशा में भारत सरकार की गंभीर एवं प्रभावी पहल के लिए राष्ट्रपति का हस्तक्षेप एवं निर्देश अपेक्षित है। जिसके लिए सम्पूर्ण हिन्दू समाज आपसे निवेदन करता है।

इस मौके पर महंत रामहृदय दास जी महाराज,महंत वरुण दास जी महाराज, प्रदीपदास जी महाराज, श्याम सुंदर मिश्र, महेंद्र, लोकेंद्र, दीपेन्द्र, अतुल प्रताप,विजय किशोर,राम, श्यामा, ज्योति सिंह, राजेन्द्र त्रिवेदी, चंद्रप्रकाश खरे, लवकुश चतुर्वेदी, आलोक पांडेय, जगदीश गौतम,देव त्रिपाठी, शानू गुप्ता आदि हजारों हिन्दू मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन समिति संयोजक आशीष सिंह ने किया।

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(Udaipur Kiran) / रतन पटेल

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