कठुआ 03 दिसंबर (Udaipur Kiran) । बारिश न होने की वजह से जिला कठुआ में खांसी, जुकाम, बुखार और एलर्जी के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। बरसात का मौसम समाप्त होने के बाद दिसंबर महीना की 3 तारीख तक जिले भर में कहीं भी बारिश नहीं हुई और आने वाले दिनों में भी बारिश के आसार नहीं दिखाई दे रहा। इससे कहीं ना कहीं ग्लोबल वार्मिंग की समस्या नजर आ रहा है। प्रकृति ने अपना संतुलन पूरी तरह से खो दिया है, बढ़ते प्रदूषण की वजह से मौसम का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है। और जिम्मेवार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गहरी नींद में सोया हुआ है।
बीते बरसात के मौसम में भी इस बार बारिश ना के बराबर ही थी। इसी प्रकार सर्दियों के मात्र 4 से 5 महीने ही होते हैं, जिसमें दो महीने बीत चुके हैं लेकिन बारिश नहीं हो रही और शुष्क मौसम से हर घर में कोई ना कोई बीमार है। जिसकी वजह से कठुआ जीएमसी में भी ओपीडी की संख्या बड़ी है। शुष्क मौसम से लोगों को बुखार, जुकाम, खांसी, बलगम और एलर्जी जैसी बीमारियां उत्पन्न हो रही है, विशेष तौर पर बच्चों और बुजुर्गों को इन बीमारियों ने जकड़ रखा है। दरअसल दिल्ली के तर्ज पर कठुआ में भी प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सुस्त कार्य प्रणाली की वजह से कठुआ शहर के चारों तरफ लगी औद्योगिक इकाइयों की भी जांच नहीं की जा रही। कठुआ शहर से सटे गोविंदसर और मरोली औद्योगिक क्षेत्र में लगी प्रदूषण वाली इकाइयों पर भी नियंत्रण नहीं किया जा रहा। प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर कार्रवाई नहीं की जा रही। जिसकी वजह से चारों तरफ लगी इकाइयों ने पूरे शहर को प्रदूषण ने अपने जाल में दबोच लिया है और बारिश न होने की वजह से प्रदूषण और ज्यादा हावी हो चुका है। जिसकी वजह से कई बीमारियां पैदा हो रही हैं। वही डेंगू के भी कई मामले कठुआ में पाए गए हैं हालांकि उस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच की जा रही है और प्रभावित क्षेत्रों में स्प्रे किया जा रहा है लेकिन इस बढ़ते प्रदूषण की जांच के लिए जिम्मेदार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गहरी नींद में सोया हुआ है। जिसका खामियाजा कठुआ शहर के स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। हालांकि आए दिन कठुआ में बढ़ते प्रदूषण को लेकर स्थानीय लोग प्रदर्शन भी कर रहे हैं लेकिन संबंधित विभाग के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। आने वाले सालों में अगर यही हाल रहा तो शायद कठुआ शहर रहने के लायक नहीं रहेगा। कठुआ शहर के साथ-साथ आसपास के गांव में भी औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो रही हैं जिसकी वजह से आने वाले दिनों में कठुआ का वातावरण पूरी तरह से दूषित होने वाला है।
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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया