शिमला, 03 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत पथ विक्रेताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने में अहम प्रगति हुई है। पीएम स्वनिधि योजना का उद्देश्य पथ विक्रेताओं को उनकी छोटी-छोटी व्यावासिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए जमानत मुक्त ऋण उपलब्ध कराना है, जिससे वे अपने व्यापार में आसानी से पूंजी लगा सकें। केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि हिमाचल प्रदेश ने 24 नवम्बर 2024 को इस योजना के तहत अब तक 5749 ऋणों चुकाया है।
सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार के सवाल के जवाब में तोखन साहू ने बताया कि पथ विक्रता जिन्होनें 10 हजार रू0 का अपना पहल ऋण सफलतापूर्वक चुकाया है वे 20 हजार रू0 के दूसरे ऋण के लिए पात्र हैं। इसी प्रकार दूसरे ऋण की अदायगी पर विक्रेता 50 हजार रू0 का तीसरा ऋण ले सकते हैं। 24 नवम्बर 2024 की स्थिति के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 3015 और 1396 दूसरे और तीसरे ऋण वितरित किए गए हैं।
केन्द्रीय राज्य मंत्री ने आगे बताया कि पीएम स्वनिधि योजना का उदेश्य पथ विक्रेता को उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करने के लिए जमानत मुक्त पूंजी ऋण उपलब्ध कराना है। पीएम स्वनिधि योजना के तहत सरकार 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज सबसिडी के माध्यम से ऋणों के नियमित पुनर्भुगतान को प्रोत्साहित कर रही है और डिजिटल लेनदेन को पुरस्कृत करते हुए प्रतिवर्ष 1200 रू0 तक का कैश बैक दे रही है। ये प्रावधान देशभर में इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों के लिए उपलब्ध है।
डॉ0 सिकंदर कुमार ने कोयला और खान मंत्री से हिमाचल प्रदेश में खनन कार्यों से प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित किए गए जिला खनिज प्रतिष्ठान के ब्योरा संबंधित प्रश्न पूछे। उन्होंने पूछा कि चालू वर्ष के दौरान हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत कितनी धनराशि आबंटित की गई है ? क्या सरकार ने इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का निर्धारण किया है और क्या हिमाचल प्रदेश में इस योजना के तहत कितने लाभार्थियों की आजीविका सुनिश्चित की गई है ?
इसके जवाब में कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि एमएमडीआर अधिनियम 157 की धारा 9ख, धारा 15(4) और धारा 15क के द्वारा प्रदत शक्तियों का प्रयोग करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपनी 22 अगस्त, 2016 की अधिसूचना के माध्यम से हिमाचल प्रदेश जिला खनिज फाउंडेशन न्यास नियम 2016 अधिनियमित किया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ राज्य के प्रत्येक जिले में डीएमएफटी की स्थापना का प्रावधान है। हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों में डीएमएफटी की स्थापना की गई है। उन्होनें बताया कि हिमाचल प्रदेश में चालू वित्त वर्ष में आज तक विभिन्न परियोजनाओं के लिए 24.48 करोड़ रू0 आबंटित किए गए हैं। उन्होनें कहा कि हिमाचल प्रदेश डीएमएफटी नियम 2016 के नियम 15 के तहत राज्य सरकार ने प्राथमिकता वाले क्षेत्र अर्थात उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र एवं अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र निर्धारित किया है।
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में खनन संबंधी प्रचालनों से प्रभावित क्षेत्र डीएमएफटी नियमों के अंतर्गत आते हैं। पीएमकेकेवाई योजना के तहत कार्यान्वित विभिनन कार्यक्रम मुख्य रूप से स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, वास्तविक अवसंरचना आदि जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है। इन योजनाओं का मुख्य उदेश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को समुदायों के समग्र जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। ऐसे समुदायों को स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं, शैक्षिक अवसरों, पेयजल और वर्धित कनेक्टिविटी तक बेहतर पहुंच के माध्यम से लाभान्वित किया गया है।
—————
(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा