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यूपीसीए के साथ आरओसी के मिलीभगत की शिकायत पहुंची कॉर्पोरेट मंत्रालय

यूपीसीए की प्रतीकात्मक फोटो

कानपुर, 01 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) में हो रही गड़बड़ियों का मामला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री व क्रिकेटर रहे मोहसिन रजा ने तो यूपीसीए की अनियमितताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इससे अन्य लोगों को भी बल मिला और अब यूपीसीए की शिकायत कॉर्पोरेट मंत्रालय के सचिव तक पहुंच गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि यूपीसीए और रजिस्ट्रार आफ कम्पनीज (आरओसी) कानपुर के अधिकारियों के मिलीभगत से संघ के भीतर वित्तीय घोटाले, धोखाधड़ी व खिलाड़ियों के धन का दुरुपयोग किया गया है।

शिकायतकर्ता उपेन्द्र यादव ने कॉर्पोरेट मंत्रालय के सचिव को ईमेल के जरिये शिकायत में यह दर्ज करवाया है कि कई बार संघ के अधिकारियों की ओर से की गयी वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के बाद भी अभी तक किसी प्रकार की कार्यवायी नहीं की गयी है। मामले में आरओसी के अधिकारियों की भूमिका भी स्पष्ट रुप से संदेहास्पद दिखायी दे रही है। यूपीसीए जो एक प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के रूप में कार्यरत है, ने अपने निदेशक मंडल की शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए संशोधित आर्टिकल आफ एसोसिएशन (एओए) को आरओसी कानपुर से मंजूर कराया, जिसमें नियमों का घोर उल्लंघन किया गया। मेल में यह दर्शाया गया है कि संघ ने अपने तीन निदेशकों को नॉन-रिटायरिंग निदेशक घोषित किया था। दुर्भाग्यवश इनमें से दो निदेशकों का 2018 में निधन हो गया और एक निदेशक केवाईसी अनुपालन न करने के कारण अयोग्य घोषित हो चुका है। इसके बावजूद आरओसी कानपुर ने 2022 में संशोधित एओए को मंजूरी दी। जिसमें इन तीन निदेशकों के साथ नॉन-रिटायरिंग निदेशक का नियम जोड़ा गया। यह स्पष्ट रूप से आरओसी की मिलीभगत और सत्यापन की कमी को दर्शाता है।

–आरओसी की मिलीभगत से हुई गड़बड़ियां

शिकायतकर्ता का कहना है कि आरओसी का यह दायित्व था कि संशोधित एओए को स्वीकृत करने से पहले यह निश्चित करें कि यह सभी कानूनी प्रावधानों और वास्तविक स्थिति के अनुरूप है। आरोप है कि गैर-लाभकारी संगठन की आड़ में लाभ कमाने का प्रयास किया गया है, जबकि एमसीए के नियमों के अनुसार, धारा 8 के तहत पंजीकृत कोई भी गैर-लाभकारी संगठन लाभ नहीं कमा सकता और उसकी आय केवल जनहित के लिए उपयोग की जानी चाहिए। यूपीसीए ने आरओसी कानपुर की मिलीभगत से इस नियम का उल्लंघन कर धन गबन के साथ ही लाभ अर्जित किया।

–करीब तीन करोड़ का हुआ घोटाला

बताया कि आरओसी ने यूपीसीए के निदेशकों की अवैध गतिविधियों पर न केवल चुप्पी साधी, बल्कि इसे समर्थन देकर कर चोरी और धन के दुरुपयोग को बढ़ावा दिया। जिससे खिलाड़ियों और सरकार के हितों को नुकसान हुआ है। बताया कि 2022 में 297.89 लाख रुपया का व्यय स्टेडियम निर्माण के नाम पर दिखाया, जबकि उक्त स्थल पर कोई निर्माण कार्य किया ही नहीं गया। यूपीसीए के निदेशकों ने खिलाड़ियों और जनता को गुमराह करते हुए वित्तीय घोटाला किया। आरओसी कानपुर ने संघ के निदेशकों को बेधड़क नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति प्रदान कर दी। शिकायतकर्ता ने सचिव से मांग की है जिसमें कहा गया है कि आरओसी कानपुर की भूमिका की गहन जांच की जाए और सत्यापन में चूक के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

–निदेशकों के रद्द किये जाएं डीआईएन

शिकायतकर्ता का कहना है कि संघ के निदेशकों के डाइरेक्टर आइडेंटीफिकेशन नंबर (डीआईएन) को तुरंत रद्द किया जाए और उन्हें भविष्य में निदेशक बनने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए। एक स्वतंत्र पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाए, ताकि संघ के संचालन में पारदर्शिता लाई जा सके और खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। यूपीसीए और आरओसी कानपुर की मिलीभगत से हुए वित्तीय घोटाले और कर चोरी के मामलों की जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। संघ के बैंक खातों और सम्पत्तियों को तुरंत सील किया जाए ताकि आगे धन का गबन रोका जा सके। सीएजी या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से संघ की बैलेंस शीट और उनके व्ययों का विशेष ऑडिट कराया जाए। संघ और आरओसी कानपुर की मिलीभगत ने न केवल कर प्रणाली और सरकारी नियमों का मजाक उड़ाया है, बल्कि खिलाड़ियों और जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई है। ऐसी अनियमितताओं पर तुरंत रोक लगाने और कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। सचिव से मांग की गयी है कि इस मामले को प्राथमिकता देते हुए दोषियों को सख्त दंड दिलाने और यूपीसीए के संचालन में पारदर्शिता लाने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह

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