मंडी, 29 नवंबर (Udaipur Kiran) । एशिया-प्रशांत महापौर अकादमी सम्मेलन बैंकाक में आयोजित किया जा रहा है। इस मेयर एकेडमिक में नगर निगम मंडी के महापौर विरेंद्र भट्ट भारत से एक मात्र महापौर के रूप में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। विरेंद्र भट्ट ने इस अवसर पर अपने शहर का परिचय देते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है तो मंडी शहर का नाम मांडव्य ऋषि के नाम पर रखा गया है इसे प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। वहीं पर मंडी शहर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। इस सम्मेलन में जिन मुदों पर चर्चा की गई, उनमें सामुदायिक जुड़ाव व सामुदायिक संघों के साथ साझेदारी बनाना स्वामित्व और सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना। व्यवहार परिवर्तन संचार बीसीसी जागरूकता कोबढ़ावा देना और सूचना, शिक्षा एवं दरवाजे जैसे संचार साधनों के माध्यम से जिम्मेदारी, घर-घर का दौराए अभियान और जनसंचार करना। इसके अलावा तकनीकी समाधान: अपशिष्ट से ऊर्जा मॉडल और संसाधन की खोज अपशिष्ट प्रबंधन को अनुकूलित करने के लिए पुनप्र्राप्ति और पुनरूउपयोग आरआरआर सुविधाएं। वहीं पर क्षमता निर्माण कार्यशालाओं और सेमिनारों के माध्यम से नीति निर्माताओं और नागरिक समाज सहित हितधारकों को शामिल करना ।
नीति कार्यान्वयन: सम्मेलन के दौरान मेयर विरेंद्र भट्ट ने सुझाव दिया कि अपशिष्ट पृथक्करण पर मौजूदा कानूनों को लागू करना, दंड, और पुरस्कारों के माध्यम से सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करना। तेजी से शहरीकरण और बढ़ते अपशिष्ट उत्पादन के कारण गंभीर प्रदूषण हुआ है और स्वास्थ्य ख़तरे। नदियों और अन्य हॉटस्पॉटों में अनुपचारित कचरे को खुले में डंप करने से निम्नीकरण होता है। कम आय वाले निवासियों सहित कमजोर आबादी को सबसे बड़े जोखिम का सामना करना पड़ता है।
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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा