कोलकाता, 29 नवंबर (Udaipur Kiran) । कोलकाता मेट्रो रेलवे ने आत्महत्या रोकने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। देश की पहली मेट्रो सेवा शुरू होने के 40 वर्षों में सैकड़ों लोग मेट्रो ट्रेनों के सामने कूदकर अपनी जान दे चुके हैं। हालांकि, समय पर की गई कार्रवाई से कई लोगों को बचाया भी गया है, लेकिन यह समस्या अब भी जारी है।
मेट्रो रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कौशिक मित्रा ने शुक्रवार को कहा, ब्लू लाइन (कवि सुभाष से दक्षिणेश्वर के बीच) पर ‘आत्महत्या रोकथाम अभियान’ शुरू किया गया है। इसके तहत लोगों को जीवन के महत्व को समझाने और आत्महत्या से रोकने के लिए ट्रैकसाइड दीवारों पर रंगीन बैनर लगाए जा रहे हैं। इन पर लिखा है, ‘जीवन एक यात्रा है : इस अनमोल तोहफे को जल्दी खत्म न करें’, ‘सब खत्म करने से पहले दो बार सोचें’, ‘आपका जीवन कीमती है, हार न मानें’, ‘आपके परिवार के लोग घर पर आपका इंतजार कर रहे हैं, उनके बारे में सोचें।’
ये बैनर फिलहाल कालीघाट और गिरीश पार्क स्टेशनों पर लगाए गए हैं और जल्द ही पूरे ब्लू लाइन पर लगाए जाएंगे। यह लाइन शहर की सबसे पुरानी और आत्महत्या की घटनाओं के लिए कुख्यात है।
कौशिक मित्रा ने बताया कि आत्महत्या के प्रयास न केवल सेवाओं में बाधा डालते हैं, बल्कि यात्रियों और मेट्रो कर्मियों पर गहरा मानसिक प्रभाव भी छोड़ते हैं। उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य केवल सेवाएं बनाए रखना नहीं, बल्कि अनमोल जीवन बचाना है। हमारे संदेश ‘मेट्रो में आत्महत्या न करें’ नहीं कहते, क्योंकि हम चाहते हैं कि लोग आत्महत्या का ख्याल ही छोड़ दें।
ब्लू लाइन पर प्लेटफॉर्म स्क्रीन दरवाजे लगाने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि इससे पूरे सिस्टम को नया रूप देना पड़ेगा, जो शहर की इस जीवनरेखा में बड़े व्यवधान का कारण बन सकता है।
मेट्रो रेलवे ने आत्महत्या रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। ट्रेन की गति प्लेटफॉर्म पर प्रवेश करते समय घटाई जाती है। सुरक्षा कर्मियों को प्लेटफॉर्म किनारों पर तैनात किया गया है और सीसीटीवी फुटेज की निगरानी की जाती है।
इस साल अक्टूबर में चांदनी चौक स्टेशन पर एक महिला ने अपनी सात वर्षीय बेटी को धक्का दिया और फिर ट्रेन के सामने कूद गई। यह घटना यात्रियों के लिए बेहद दर्दनाक थी।
मित्रा ने कहा, यह एक चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन हम मेट्रो नेटवर्क के भीतर जीवन बचाने के प्रयास जारी रखेंगे।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर