– आकस्मिक हालात में कोच्चि तट पर बड़े पैमाने पर दो समुद्री अभ्यास किए जाएंगे
नई दिल्ली, 28 नवंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव बोर्ड के तत्वावधान में गुरुवार से भारतीय तटरक्षक के राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव अभ्यास एवं कार्यशाला (एसएआरईएक्स) की शुरुआत केरल के कोच्चि में हुई, जिसका उद्घाटन रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने किया। दो दिन तक चलने वाले राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव अभ्यास के 11वें संस्करण में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के महानिदेशक एस. परमेश भी शामिल होंगे। इस कार्यक्रम का विषय ‘क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से खोज और बचाव क्षमताओं को बढ़ाना’ रखा गया है। इस मौके पर एसएआरईएक्स का एक लोगो भी लांच किया गया।
कार्यक्रम के पहले दिन आज विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें टेबल-टॉप अभ्यास, कार्यशाला और सेमिनार शामिल हैं, जिसमें सरकारी एजेंसियों, मंत्रालयों तथा सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न हितधारकों और विदेशी प्रतिनिधियों की भागीदारी होगी। दूसरे दिन शुक्रवार को आकस्मिक हालात को शामिल करते हुए कोच्चि तट पर बड़े पैमाने पर दो समुद्री अभ्यास किए जाएंगे, जिसमें आईसीजी, नौसेना, भारतीय वायुसेना के जहाज और विमान, कोचीन बंदरगाह प्राधिकरण के यात्री जहाज और सीमा शुल्क विभाग की नावें भाग लेंगी।
आईसीजी के कमांडर अमित उनियाल के मुताबिक पहली आकस्मिकता में 500 यात्रियों वाले जहाज पर संकट का स्वांग रचा जाएगा, जबकि दूसरे परिदृश्य में 200 यात्रियों वाले विमान को नीचे उतारा जाएगा। समुद्री अभ्यास में संकटग्रस्त यात्रियों को निकालने के विभिन्न तरीके शामिल होंगे, जिसमें जीवन रक्षक प्रणाली तैनात करने के लिए ड्रोन, हवा से गिराए जाने वाले जीवन रक्षक राफ्ट, रिमोट नियंत्रित जीवन रक्षक प्रणाली के संचालन का उपयोग करके अत्याधुनिक तकनीक की तैनाती को प्रदर्शित किया जाएगा। यह अभ्यास न केवल संचालन की दक्षता के लिए डिजाइन किया गया है, बल्कि यह तटीय और मित्र देशों के साथ सहयोगात्मक जुड़ाव पर भी केंद्रित होगा।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय तटरक्षक बल प्रमुख समुद्री एजेंसी के रूप में उभरा है, जो स्थायी एवं प्रभावी समुद्री खोज और बचाव संरचना की दिशा में सरकार के प्रयासों को सही दिशा में आगे बढ़ा रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में एसएआर के समन्वय के लिए इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन के सदस्य देशों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा आईसीजी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एसएआर गतिविधियों के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। समुद्री सुरक्षा पहलू पर आईसीजी का बढ़ता ध्यान भारत की वैश्विक जिम्मेदारी को मजबूत करने में लंबा रास्ता तय करेगा।
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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम