– उत्तराखंड बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने विधि व्यवसाय के विरुद्ध आचरण करने पर की कार्रवाई
नैनीताल, 27 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने एक अधिवक्ता की ओर से विधि व्यवसाय के विरुद्ध आचरण करने पर उन्हें तीन माह के लिए विधि व्यवसाय करने से निलंबित कर दिया है। समिति ने अधिवक्ता बसन्त जोशी के इस व्यवहार को विधि व्यवसाय, अधिवक्ता एक्ट 2023 की धारा 35 व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध मानते हुए बसंत जोशी को तीन माह के लिए विधि व्यवसाय से निलंबित किया है।
उत्तराखंड बार काउंसिल की अनुशासन समिति के अध्यक्ष डीके शर्मा, सदस्य नंदन सिंह कन्याल व याेजित सदस्य राम सिंह सम्मल के समक्ष अधिवक्ता हेम पाठक ने सिविल कोर्ट कम्पाउंड हल्द्वानी के अधिवक्ता बसंत जोशी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में बताया गया कि अधिवक्ता हेम पाठक के भाई संदीप पाठक का अपनी पत्नी बंटी उर्फ ईशिता के साथ विवाह विच्छेद वाद परिवार न्यायालय हल्द्वानी में चल रहा था। इस मामले में ईशिता पाठक की ओर से अधिवक्ता बसंत जोशी पैरवी कर रहे थे। मामले के विचाराधीन रहते 8 दिसम्बर 2018 को ईशिता का सामान व शैक्षिक दस्तावेज वापस कर दिए गए, जिसमें अधिवक्ता बसंत जोशी स्वयं गवाह भी बने। जबकि मामले में पैरवी करने के कारण वे गवाह नहीं हो सकते थे। हालांकि वे बाद में उस मामले में पैरवी से अलग हो गए। यह विवाह विच्छेद 31 मई 2022 को हुआ।
दूसरी ओर ईशिता पाठक ने एक अन्य वाद घरेलू हिंसा से संबंधित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के न्यायालय में दायर किया, जिसमें उन्होंने अनुतोष के साथ ही शैक्षिक दस्तावेज भी मांगे। इस वाद में भी बसंत जोशी अधिवक्ता थे। इसमें कोर्ट के सम्मन को डाक विभाग से भेजवाने की अपूर्ण व भ्रामक ऑनलाइन ट्रेकिंग रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई और कोर्ट को बताया गया कि आरोपी संदीप पाठक व अन्य को सम्मन मिल चुका है। वे कोर्ट में पेश नहीं हो रहे हैं। ईशिता पाठक की ओर से इस आशय का झूठा शपथ पत्र भी कोर्ट में दिया गया और इस मामले की जानकारी अधिवक्ता बसंत जोशी को थी, लेकिन उन्होंने अपनी मुवक्किल को इस गलत कृत्य से नहीं रोका। अधिवक्ता बसंत जोशी परिवार न्यायालय के आदेश से हुए विवाह विच्छेद की डिक्री व उससे पूर्व ईशिता को लौटाए गए सामान एवं शैक्षिक दस्तावेज से भी अवगत थे, लेकिन उन्होंने यह तथ्य भी अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को नहीं बताए और दूसरे पक्ष संदीप पाठक व अन्य के खिलाफ एक पक्षीय निर्णय कराने में सफल रहे। जबकि संदीप पाठक व अन्य को इस वाद की कोई जानकारी थी ही नहीं।
बार काउंसिल की अनुशासन समिति ने अधिवक्ता बसंत जोशी के इस व्यवहार को विधि व्यवसाय, अधिवक्ता एक्ट 2023 की धारा 35 व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध मानते हुए बसंत जोशी को तीन माह के लिए विधि व्यवसाय से निलंबित कर दिया है।
(Udaipur Kiran) / लता