कोलकाता, 27 नवंबर (Udaipur Kiran) । सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ ही कोलकाता और हावड़ा में वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई है। लगातार दूसरे दिन कोलकाता की हवा ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, जबकि हावड़ा के औद्योगिक क्षेत्रों में यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी तक पहुंच गई। इससे सांस की तकलीफ और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं बढ़ने लगी हैं।
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) के अनुसार, बुधवार दोपहर को कोलकाता के विभिन्न स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) निम्न प्रकार रहा :
फोर्ट विलियम : 245
विक्टोरिया मेमोरियल : 264
बालीगंज : 276
रवींद्र सरोबर : 220
रवींद्र भारती विश्वविद्यालय : 243
ये सभी स्थान ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किए गए हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाती है।
हावड़ा के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है।
दासनगर : 356
पद्मपुकुर : 354
यह ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आते हैं, जिसका मतलब है कि यहां सामान्य लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जबकि अस्थमा या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है।
पर्यावरणविद सोमेंद्र मोहन घोष ने बताया कि कोलकाता में पीएम 2.5 कणों का स्तर अधिक है, जो मुख्य रूप से परिवहन और कोयला आधारित चूल्हों से उत्सर्जित होते हैं। ये सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों में गहराई तक पहुंच सकते हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सड़क किनारे चलने वाले खाने के स्टॉल, जो कोयला आधारित चूल्हों का उपयोग करते हैं, प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। डब्ल्यूबीपीसीबी ऐसे स्टॉल मालिकों को एलपीजी या इलेक्ट्रिक ओवन जैसे स्वच्छ ईंधन अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
डब्ल्यूबीपीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि सर्दी की शुरुआत में ठंडी हवा और धूल के महीन कण नीचे ही रुक जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
‘खराब’ वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिए खतरा है, जबकि ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता अस्थमा और अन्य सांस संबंधी रोगों वाले लोगों के लिए बेहद हानिकारक मानी जाती है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर