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(अपडेट) मेवाड़ पूर्व राजपरिवार विवाद: धूणी दर्शन नहीं हुए, एकलिंगजी के दर्शन कर शोक भंग की रस्म पूरी

मेवाड़ पूर्व राजपरिवार विवाद: धूणी दर्शन नहीं हुए, एकलिंगजी के दर्शन कर शोक भंग की रस्म पूरी
मेवाड़ पूर्व राजपरिवार विवाद: धूणी दर्शन नहीं हुए, एकलिंगजी के दर्शन कर शोक भंग की रस्म पूरी

उदयपुर, 27 नवंबर (Udaipur Kiran) । मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के विश्वराज सिंह मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ के फतह प्रकाश महल में 25 नवम्बर को पाम्परागत राजतिलक की रस्म के बाद उदयपुर के सिटी पैलेस में प्रयागगिरि महाराज की धूणी के दर्शन में अड़चन के चलते बुधवार को एकलिंगनाथ महादेव के दर्शन कर शोक भंग की रस्म पूरी की गई।

परम्परा है कि राजतिलक के उपरांत उदयपुर सिटी पैलेस में स्थित प्रयागगिरि महाराज की धूणी के दर्शन करने जाते हैं और वहीं पर कुलदेवता बाणनाथजी के दर्शन भी करते हैं। इसके बाद कैलाशपुरी स्थित एकलिंगनाथ महादेव मंदिर में दर्शन कर शोक भंग की रस्म की जाती है। पूर्व राजपरिवार में सम्पत्ति विवाद के चलते उदयपुर सिटी पैलेस में प्रवेश को लेकर सोमवार देर रात तक तनाव की स्थिति बनी रही थी। प्रशासन ने विवादित सम्पत्ति को कुर्क करने के साथ घंटाघर थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त किया था। लेकिन, मंगलवार को भी दोनों पक्षों में सकारात्मक स्थिति नहीं बन सकी और उदयपुर जिला कलेक्टर ने मंगलवार रात उदयपुर सिटी पैलेस क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी।

इन परिस्थितियों में राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह ने दर्शन नहीं करा पाने को प्रशासन का फेल्योर बताते हुए बुधवार सुबह 10 बजे भगवान एकलिंगनाथ के दर्शन का तय कर लिया। इसके तहत बुधवार सुबह अपने निवास स्थल समोर बाग पैलेस में अश्व पूजन के बाद वे एकलिंगजी पहुंचे और वहां दर्शन किए। वहां बड़ी संख्या में मौजूद समर्थकों ने एकलिंगनाथ के जयकारे लगाए। मंदिर में विश्वराज सिंह के साथ सीमित लोगों को ही प्रवेश दिया गया। जिला पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल भी वहां व्यवस्था संभाले हुए थे।

एकलिंगनाथ महादेव के गर्भगृह में परम्परानुसार विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई और पूर्व राजव्यवस्था की परम्परा के अनुरूप बड़ीसादड़ी ठिकाने से आई सोने-चांदी की छड़ी जिसे मेवाड़ के राजदंड (सेंगोल) के रूप में माना जाता है, उनके कंधे पर रखी गई। यह परम्परा इस बात का प्रतीक है कि मेवाड़ के राजा भगवान एकलिंगनाथ हैं और महाराणा उनके दीवान हैं और उन्हें नियमपूर्वक प्रजापालन करना है। इसके बाद उनकी पगड़ी का रंग बदला गया। शोक भंग की रस्म के रूप में सफेद रंग की पगड़ी लाल रंग की हो गई। इसके बाद विश्वराज सिंह ने वहीं पर विंध्याचल माताजी के दर्शन किए।

एकलिंगजी से पुनः उदयपुर शहर लौटकर वे उदयपुर शहर के गणेश द्वार माने जाने वाले हाथीपोल दरवाजे पर पहुंचे और वहां गणपति पूजन किया। इसके उपरांत वे पुनः समोर बाग पैलेस पहुंचे और वहां उन्होंने अन्य भी परिवारजनों, राव-उमरावों की पगड़ी के रंग बदलवाकर सभी का शोक भंग करवाया।

फिलहाल, उदयपुर सिटी पैलेस के नजदीक निषेधाज्ञा जारी है और प्रशासन की ओर से प्रयागगिरि महाराज की धूणी के दर्शन का समाधान निकालने के प्रयास की बात कही जा रही है। विभिन्न समाज-संगठन प्रशासन से दर्शन करवाने की मांग कर रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / सुनीता

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