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लॉरेंस-रोहित गोदारा की गैंग: पहले टेस्ट पास करने के बाद फिर गैंग में मिलती एंट्री

लॉरेंस-रोहित गोदारा की गैंग से जुड़ा मामला: पहले टेस्ट पास करने के बाद फिर गैंग में मिलती एंट्री

जयपुर, 26 नवंबर (Udaipur Kiran) । संजय सर्किल थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लॉरेंस और रोहित गैंग से जुड़े चार बदमाशों से पूछताछ में कई चौकाने वाली बातें सामने आई है। बदमाशों से पूछताछ में सामने आया है कि गैंग में एंट्री के लिए पहले टेस्ट देना पड़ा है। टेस्ट में पास होने पर ही उन्हें गैंग में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। गिरफ्तार हुए बदमाश फेमस होने के लिए वे गैंग से जुड़े थे। गैंग से जुड़ने से पहले छोटे-छोटे टेस्ट लेकर परखा जाता है। फोन के जरिए ही सभी ऑर्डर मिलते हैं। हथियार पिकअप और डिलीवर करते थे, लेकिन सिस्टम ऐसा है कि कभी किसी का चेहरा नहीं देखा। गैंग के बदमाशों के पास लॉरेंस गैंग की तरफ से फोन आता था। मध्यप्रदेश से हथियार लाते और जयपुर में डिलीवरी देते थे। ये लोग नहीं जानते थे कि किस से हथियार लाए हैं, किसे हथियार देने हैं। पूछताछ में सामने आया कि इनके पास फोन आता है। फोन करने वाला बताता था कि हथियार एक जगह पर पत्थर के नीचे रखे हुए हैं। बदमाश बताई जगह पर जाते। वहां से हथियार उठा लेते। फिर इन्हें बताया जाता कि जयपुर में किस जगह पर हथियार छोड़ने हैं। ये लोग उसी जगह हथियार छोड़ देते थे। चारों बदमाश किसी भी व्यक्ति के साथ डायरेक्ट सम्पर्क में नहीं थे। उन्हें लगता है कि इस गैंग के साथ जुड़कर फेमस हो जाएंगे। उनको पैसा मिलेगा, क्योंकी अभी तक ये लोग बेरोजगार हैं। इन के पास कोई काम नहीं है। बदमाशों की पोस्ट को लाइक, कॉमेंट और फॉलो कर के गैंग से जुड़ जाते हैं। इनके पास फोन आने लगते हैं। फोन करने वाले खुद को लॉरेंस, रोहित गोदारा बता कर बात करते हैं। ये लोग इनसे फोन पर बात करते रहते हैं। गैंग के लोग पता करते हैं ये लोग काम के भी है या नहीं। पहले छोटे-छोटे टास्क दिये जाते हैं। इसमें किसी के घर के बाहर की रेकी करना, व्यापारियों के नम्बर लाना, उसके आने-जाने के टाइम नोट करना। काम अच्छा होने पर इन लोगों को पैसा दिया जाता है।

पुलिस उपायुक्त जयपुर उत्तर राशि डूडी डोगरा ने बताया कि आज के युवा जल्द पैसा कमाने और फेम कमाने के लिए हर तरीके अपना रहा है। वह बदमाशों के साथ इसीलिए जुड़ रहा है क्योंकि उसे जल्दी पैसा कमाना है। गैंग ऑपरेट करने वालों को भी ऐसे ही लोगों की जरूरत है। ये लोग नहीं समझ रहे कि ये लोग केवल एक कठपुतली हैं। इनका इस्तेमाल कर के जेल भिजवा देंगे और उनका कुछ नहीं जाएगा। चारों युवकों के पास से जो मोबाइल फोन मिले हैं, उन की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) जांच करानी है। गिरफ्तार बदमाशों के पास गैंग का फोन कब और कहां से आया। उन नंबरों को कौन यूज कर रहा है। सारी जानकारी मिलने के बाद टीम एक्शन करेगी। टीम का आगे का काम यही है कि ये लोग जिन लोगों के सम्पर्क में थे उन लोगों तक कैसे पहुंचा जाए।

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(Udaipur Kiran)

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