नई दिल्ली, 25 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सोमवार को दिल्ली लीगल मेट्रोलॉजी रूल्स, 2011 में प्रमुख संशोधनों को केंद्र सरकार के नियमों के साथ संरेखित करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इसकी मदद से खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और निर्माताओं की गड़बड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकेगी।
उपराज्यपाल ने कहा कि संशोधन निष्पक्ष बाजार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए जन विश्वास अधिनियम, 2023 के तहत केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए परिवर्तनों के अनुरूप हैं।
इन बदलावों में दिल्ली लीगल मेट्रोलॉजी (प्रवर्तन) संशोधन नियम, 2011 की अनुसूची XI में संशोधन शामिल है, जो गैर-मानक वजन या माप के उपयोगकर्ताओं और निर्माताओं पर जुर्माना बढ़ाता है। गैर-मानक वजन या माप के इस्तेमाल पर जुर्माना खुदरा विक्रेता के लिए दो हजार रुपये से बढ़ाकर पांच रुपये, थोक डीलर के लिए 10 हजार रुपये और पेट्रोलियम उद्योग/पेट्रोल पंप के लिए 50 हजार रुपये किया जाएगा।
गैर मानक बाट या माप के निर्माण पर जुर्माना लगाया जाएगा, जो दो हजार से एक लाख तक का रहेगा ।
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने पहले राज्य सरकारों को प्रवर्तन नियमों में कंपाउंडिंग शुल्क निर्धारित करने की सलाह दी थी और उस दिशा में एक मसौदा मॉडल नियम प्रसारित किया था।
नियमों में संशोधन के लिए कानूनी विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि मसौदा अधिसूचना को मंजूरी के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (वजन और माप प्रभाग) को भेजा जाए, जैसा कि अधिनियम में अनिवार्य है।
विनय कुमार ने यह भी निर्देश दिया है कि विभाग ऐसे प्रस्तावों पर एनसीटी दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 के अनुसार सख्ती से कार्रवाई कर सकता है। एक बार बदलाव लागू होने के बाद दिल्ली सरकार को विशिष्ट अपराधों के लिए कंपाउंडिंग शुल्क बढ़ाने का अधिकार होगा। देशभर में नियामक मानकों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटी) नियम, 2011 के विशिष्ट प्रावधानों को दिल्ली के नियमों में एकीकृत किया जाएगा।
—————
(Udaipur Kiran) / माधवी त्रिपाठी