– क्षेत्र की समृद्ध सैन्य परंपरा का ऐतिहासिक परिदृश्य है यह पुस्तक: मुख्य सचिव
– प्रथम विश्वयुद्ध में गढ़वाली सैनिकों ने वैश्विक स्तर पर बनाई पहचान: अनिल रतूड़ी
देहरादून, 25 नवंबर (Udaipur Kiran) । दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में सोमवार की शाम लेखक और शिक्षाविद देवेश जोशी की पुस्तक ‘गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध’ का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि उत्तराखंड शासन की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पुस्तक को क्षेत्र की समृद्ध सैन्य परंपरा का ऐतिहासिक परिदृश्य बताते हुए लेखक के छह वर्षों के गहन शोध की प्रशंसा की।
इस मौके पर उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल रतूड़ी ने इस पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान गढ़वाली सैनिकों ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। यह पुस्तक गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना के इतिहास को भी उजागर करती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गढ़गौरव नरेन्द्र सिंह नेगी ने गढ़वाली लोकगीतों और दुर्लभ सेंसर किए गए पत्रों के माध्यम से पुस्तक की प्रामाणिकता पर चर्चा की। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने पुस्तक को प्रथम विश्वयुद्ध में गढ़वाली सैनिकों के शौर्य का प्रामाणिक दस्तावेज बताते हुए इसे ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। ‘गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध’ के लेखक देवेश जोशी ने अपनी पुस्तक को प्रजा का इतिहास बताते हुए कहा कि यह पुस्तक गढ़वाल के सामान्य सैनिकों के अद्वितीय योगदान को सामने लाती है। उन्होंने इसे हिंदी में इस विषय पर प्रकाशित पहली पुस्तक बताया।
कार्यक्रम में लोक कवि नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने प्रसिद्ध गीत सात समोदर पार छ जाण ब्वे… की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगशाल ‘गणी’ ने किया। दून पुस्तकालय के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी और निकोलस ने अतिथियों का स्वागत व धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में ललित मोहन रयाल, डॉ. नंदकिशोर हटवाल, कल्याण सिंह रावत, डॉली डबराल, शिव जोशी सहित कई साहित्यकार, इतिहास प्रेमी आदि उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि देवेश जोशी की पुस्तक ‘गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध’ की भूमिका अनिल रतूड़ी ने लिखी है और इसे देहरादून के विनसर पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। यह पुस्तक अमेज़न पर भी उपलब्ध है।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण