Jammu & Kashmir

राजदूत (सेवानिवृत्त) जी. पार्थसारथी ने सी.यू. जम्मू में भारत की विदेश और सुरक्षा नीतियों पर व्याख्यान दिया

राजदूत (सेवानिवृत्त) जी. पार्थसारथी ने सी.यू. जम्मू में भारत की विदेश और सुरक्षा नीतियों पर व्याख्यान दिया

जम्मू, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू (सी.यू. जम्मू) के चांसलर राजदूत (सेवानिवृत्त) जी. पार्थसारथी शनिवार को विश्वविद्यालय के न्यायालय की 9वीं बैठक की अध्यक्षता करने और भारत में विदेश और सुरक्षा नीतियों में विकास और परिवर्तन पर विशेष व्याख्यान देने के लिए परिसर में आए।

चांसलर का स्वागत वाइस चांसलर प्रो. संजीव जैन और रजिस्ट्रार प्रो. यशवंत सिंह ने गर्मजोशी से किया। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विभाग द्वारा किया गया और विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आर. सुधाकर द्वारा समन्वयित किया गया। अपने व्याख्यान में राजदूत पार्थसारथी ने भारत की विदेश और सुरक्षा नीतियों में महत्वपूर्ण बदलावों का विश्लेषण करने के लिए अपने व्यापक राजनयिक अनुभव, विशेष रूप से यूएसएसआर में अपने कार्यकाल का हवाला दिया। उन्होंने चर्चा के दौरान 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान-चीन गठबंधन, भारत पर इसका प्रभाव तथा भारत ने किस प्रकार प्रभावी रूप से इस दोहरी चुनौती का मुकाबला किया जैसे विषयों पर विचार रखे। इसी के साथ उन्होंने समकालीन भारतीय सुरक्षा नीति में पाकिस्तान की घटती प्रासंगिकता, चीन के साथ उसके परमाणु सहयोग से प्रभावित, भारत के बांग्लादेश, नेपाल तथा खाड़ी देशों के साथ मजबूत होते संबंधों, आर्थिक तथा ऊर्जा सहयोग का लाभ उठाने सहित वैश्विक गतिशीलता का विकास, भारत की उदारीकरण के पश्चात आर्थिक लचीलापन इसकी मजबूत विदेश नीति तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा की आधारशिला पर भी बात की।

पार्थसारथी ने किसी देश की विदेश नीति को आकार देने में राष्ट्रीय सहमति के महत्व पर प्रकाश डाला तथा रक्षा तैयारियों के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने में भारत की सफलता का हवाला दिया। उन्होंने क्षेत्र में चीन की रणनीतिक नीतियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार करते हुए नए नेतृत्व में भारत-अमेरिका संबंधों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। व्याख्यान के दौरान प्रश्नोत्तर सत्र भी हुआ जिसमें छात्रों तथा शिक्षकों ने पाकिस्तान तथा चीन के साथ भारत की समकालीन चुनौतियों सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चांसलर से चर्चा की।

अपने स्वागत भाषण में रजिस्ट्रार प्रो. यशवंत सिंह ने राजदूत पार्थसारथी के विशिष्ट करियर की प्रशंसा की और आज के भू-राजनीतिक परिदृश्य में विदेश नीति को समझने के महत्व पर जोर दिया।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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