जयपुर, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान के सात विधानसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का जादू चला, जिससे भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक पांच सीटों पर अपनी जीत हासिल करने में सफलता पाई और भजनलाल प्रदेश में राजनीति के नए जादूगर साबित हुए। 13 नवंबर को हुए इस उपचुनाव की मतगणना में शनिवार को जो परिणाम सामने आया वह भजनलाल शर्मा और भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ।
भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के करीब दस महीने में इन सात स्थानों पर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा होने के बाद पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ बागी उम्मीदवार सामने आ गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी राजनीतिक कूटनीति का परिचय देते हुए न केवल उन्हें मनाया बल्कि पूरी एकजुटता के साथ उपचुनाव लड़कर राजनीति के नए जादूगर के रुप में उभरे। भजनलाल शर्मा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है। इस कारण सीएम भजनलाल राजस्थान ही नहीं, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी छाये रहे। शर्मा ने पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद पहली बार में ही मुख्यमंत्री बनने के बाद कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक निर्णय लेकर जनता से खूब वाहवाही बटोरी और इसके बाद सामने आए उपचुनाव में भाजपा के कई उम्मीदवारों के खिलाफ उठे बगावती सुर थामने में कामयाब रहे।
साथ ही अन्य कई दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करके बदलते राजनीतिक परिवेश में जिस प्रकार का माहौल बना, उसमें वे अपने को अनुभवी एवं राजनीति के खिलाड़ी की तरह साबित करने में भी कामयाब रहे। उपचुनाव में अहम बात यह भी है कि चुनाव प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे या उससे बड़े किसी पार्टी नेता ने बढ़चढ़कर हिस्सा नहीं लिया और पूरा जिम्मा मुख्यमंत्री के पास रहा और उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में दो-दो बार चुनाव सभाएं की। शर्मा ने ईआरसीपी और यमुना जल समझौता सहित ऐसे कई ऐतिहासिक फैसले लेकर सबको चौंकाया वहीं अपनी सरकार के पहले वर्ष में राजधानी जयपुर में राइजिंग राजस्थान वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन कराने का निर्णय किया और इसके तहत अब तक करीब 25 लाख करोड़ रुपए के एमओयू भी हो चुके हैं। इस तरह शर्मा सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे हैं।
उपचुनाव के परिणाम आते ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने तो भाजपा की जीत का सारा श्रेय भजनलाल को दिया है। इसी तरह पार्टी के अन्य नेता भी मुख्यमंत्री को ही श्रेय दे रहे हैं और उनकी कुशल राजनीति की प्रशंसा कर रहे हैं कि उनके नेतृत्व में भाजपा में एकजुट एवं मजबूत हुई हैं। इस जीत से राठौड़ का भी कद बढ़ा है। राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार उपचुनाव में सक्रिय रुप से नजर नहीं आए और इस बार न ही उनका जादू देखने को मिला। वे देवली उनियारा से टिकट की मांग करने वाले नरेश मीणा को भी नहीं मना पाए और उसका परिणाम उपचुनाव में देखने को भी मिला। खींवसर में भाजपा कभी चुनाव नहीं जीत पाई थी। वहां बीजेपी ने सांसद हनुमान बेनीवाल के राजनीतिक गढ़ को ढहा दिया। इस उपचुनाव में भाजपा ने झुंझुनूं, खींवसर, रामगढ़, देवली-उनियारा एवं सलूंबर सीट पर जीत हासिल कर जहां सलूंबर में अपना दबदबा कायम रखा वहीं इनमें चार स्थानों पर अपना वजूद दिखाया है।
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(Udaipur Kiran) / रोहित