Uttrakhand

सुरों से सजे सामाजिक परिवर्तन के स्वर, दून पुस्तकालय में एल सिस्तेमा की वैश्विक गूंज पर प्रेरक व्याख्यान 

दून पुस्तकालय में एल सिस्तेमा की वैश्विक गूंज पर प्रेरक व्याख्यान।
दून पुस्तकालय में एल सिस्तेमा की वैश्विक गूंज पर प्रेरक व्याख्यान।

देहरादून, 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । लैंसडाउन चौक स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र सभागार में शनिवार को एक विशिष्ट आयोजन में प्रसिद्ध फिल्म और सांस्कृतिक विशेषज्ञ निकोलस ने एल सिस्तेमा: वेनेजुएला की सांस्कृतिक-सामाजिक परिघटना पर अपनी प्रस्तुति दी। व्याख्यान में उन्होंने एल सिस्तेमा के महत्व, इसकी स्थापना, और वैश्विक प्रभाव पर गहन और प्रेरक चर्चा की।

निकोलस ने बताया कि एल सिस्तेमा एक सार्वजनिक वित्त पोषित संगीत-शिक्षा कार्यक्रम है, जिसकी शुरुआत 1975 में वेनेजुएला के शिक्षक, संगीतकार और समाजसेवी जोस एंटोनियो अब्रू ने की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य संगीत को सामाजिक परिवर्तन का साधन बनाना है। यह कार्यक्रम गरीब और वंचित बच्चों को शास्त्रीय संगीत शिक्षा प्रदान कर उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करता है।

उन्होंने कहा कि एल सिस्तेमा ने न केवल वेनेजुएला में बल्कि 60 से अधिक देशों में समान कार्यक्रमों को प्रेरित किया है। 2015 तक, इस कार्यक्रम के तहत 700,000 से अधिक युवा संगीतकार और 400 से अधिक संगीत केंद्र जुड़े हुए थे। इसके तहत बच्चे स्कूल के बाद सप्ताह में चार घंटे संगीत का अभ्यास करते हैं और सप्ताहांत में अतिरिक्त प्रशिक्षण पाते हैं।

निकोलस ने इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में सिमोन बोलिवर सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा का उल्लेख किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक में अब्रू ने नेशनल चिल्ड्रन एंड यूथ ऑर्केस्ट्रा की भी स्थापना की, जिसने कई होनहार संगीतकारों को उभारा। इस व्याख्यान में उन्होंने बताया कि जोस एंटोनियो अब्रू संगीत को सामाजिक विकास का एक सशक्त माध्यम मानते थे। उनके अनुसार, संगीत एकता, सहयोग और सामाजिक समरसता जैसे उच्चतम मूल्यों को बढ़ावा देता है और समुदायों को जोड़ने का कार्य करता है।

कार्यक्रम के दौरान विविध वीडियो चित्रणों के माध्यम से एल सिस्तेमा के विभिन्न पहलुओं और इसकी वैश्विक सफलता को रेखांकित किया गया। साथ ही, हाल ही में दिवंगत साहित्यकार विजय गौड़ को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी साहित्यिक विरासत को याद किया गया।

कार्यक्रम के अंत में श्रोताओं ने उत्साहपूर्वक सवाल-जवाब सत्र में भाग लिया, जिसमें संगीत और समाज पर गहन चर्चा हुई। इस आयोजन में शहर के प्रमुख संगीत प्रेमियों, सामाजिक चिंतकों, लेखकों और पाठकों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें प्रवीन भट्ट, विनोद सकलानी, अरुण कुमार, सुंदर सिंह, हिमांशु आहूजा, मेघा, और अपर्णा वर्धन आदि शामिल थे।

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(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण

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