बिलासपुर , 23 नवंबर (Udaipur Kiran) । बिलासपुर जिले के छोटे से गांव छड़ोल के रहने वाले साहिल ने यह साबित कर दिया है कि बड़े सपने देखने के लिए शहरों में रहना जरूरी नहीं। चंडीगढ़ की एक निजी कंपनी में काम करने के बाद साहिल ने स्वरोजगार की राह चुनी और मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपने गांव को विकास और प्रेरणा का केंद्र बना दिया। साहिल की सफलता में हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का अहम योगदान रहा।
साहिल ने 30 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत छाेटे टेंक के निर्माण के लिए अनुदान का आवेदन किया। योजना के तहत 7 टैंकों की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया, जिनका व्यास 4 मीटर और ऊंचाई 1.5 मीटर थी। इस आवेदन को मात्र 12 दिनों में स्वीकृति मिली, जो सरकार की योजनाओं की कार्यक्षमता और साहिल के प्रयासों को दर्शाता है।
करीब 7.50 लाख रुपये लागत की इस परियोजना में सरकार ने 40% (3 लाख रुपये) का अनुदान प्रदान किया। हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग ने साहिल को तकनीकी सहायता के साथ-साथ Biofloc तकनीक की बारीकियां सिखाने में भी मदद की। निर्माण से लेकर संचालन तक विभाग ने उनके साथ हर कदम पर सहयोग किया।
मार्च 2024 में साहिल ने टैंकों का निर्माण शुरू किया और मई 2024 तक यह कार्य पूरा कर लिया। उसी दौरान उन्होंने 7,000 पंगेसियस मछलियों का बीज संग्रहित किया। परियोजना के तहत उन्हें दो किश्तों में अनुदान की राशि मिली, जिससे उनका व्यवसाय सुचारु रूप से स्थापित हुआ।
अक्टूबर 2024 में साहिल ने अपनी पहली मछलियों की बिक्री की। 500 किलोग्राम मछलियां 125 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचकर उन्होंने 62,500 रुपये की कमाई की। वर्तमान में उनके टैंकों में 1.5 मीट्रिक टन मछलियां तैयार हैं, जिनकी बिक्री से लाखों रुपये की आय होने की संभावना है।
साहिल की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भरता का सपना देखते हैं। उनकी मेहनत, सही योजना और सरकारी सहयोग के माध्यम से गांव में ही रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग ने साहिल के सफर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने तकनीकी प्रशिक्षण, मछलियों के रखरखाव, और बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने में साहिल का साथ दिया।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला