ग्वालियर, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) ।
काल भैरव अष्टमी का पर्व 23 नवंबर शनिवार को श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाएगा। इस दिन शहर में जगह-जगह धार्मि कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि मिलती है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन उपासना करते हैं। इस दिन ग्वालियर के भैरव मंदिरों पर भैरव जी को इमरती मंगोड़े का प्रसाद चढ़ाया जाएगा। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा-पाठ, दान करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं।
भैरव अष्टमी का शुभ मुहूर्त: वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 06 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम 07 बजकर 56 मिनट पर होगा। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है।
अत: 23 नवंबर शनिवार को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन पद्म और इंद्र योग का निर्माण होगा। इसके अलावा, शश योग भी बनेगा। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
(Udaipur Kiran) / शरद शर्मा