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एम्स की तर्ज पर आईएमएस, बीएचयू को सहायता अनुदान प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए  त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर 

बीएचयू और एम्स के बीच मंत्रालयों के सहयोग पर समझौता ज्ञापन के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा, शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं अन् अधिकारी

नई दिल्ली, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और शिक्षा मंत्रालय के साथ चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस), बीएचयू को अधिक वित्त पोषण और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे पी नड्डा और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उपस्थित थे। समझौता ज्ञापन (एमओयू) प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत स्थापित नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तर्ज पर आईएमएस, बीएचयू को सहायता अनुदान प्रदान करने में सक्षम बनाता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आईएमएस बीएचयू को अनुदान के प्रावधान से क्षेत्र के लोगों को किफायती अत्याधुनिक माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता बढ़ेगी। यह नैदानिक ​​​​देखभाल सेवाओं की डिलीवरी को बढ़ाकर रेफरल को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इससे न केवल मरीजों के उपचार के अनुभवों और संतुष्टि में वृद्धि होगी बल्कि रोगी की देखभाल पर होने वाले खर्च में भी उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय समय-समय पर आईएमएस, बीएचयू को नई सुविधाओं की स्थापना और मौजूदा सुविधाओं के उन्नयन के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सहायता प्रदान करता रहा है। आईएमएस बीएचयू की उत्कृष्टता और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता में और सुधार करने की इसकी क्षमता को देखते हुए, इसे उच्चतम मानकों की स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सक्षम बनाने की आवश्यकता महसूस की गई।

इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि यह समझौता ज्ञापन केंद्र सरकार के “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण का परिणाम है, जो लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। नड्डा ने इस बात पर जोर दिया कि यह समझौता ज्ञापन एम्स, नई दिल्ली और आईएमएस, बीएचयू के बीच साझेदारी को और मजबूत करेगा, जिससे उच्च शिक्षण मानकों और शोध परिणामों में उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बेहतर परिणामों के लिए आईएमएस, बीएचयू और एम्स के बीच नियमित छात्र और संकाय आदान-प्रदान का भी प्रस्ताव रखा।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि समझौता ज्ञापन एम्स और आईएमएस बीएचयू के बीच अकादमिक और शोध सहयोग के रिश्ते को और गहरा करेगा, जिससे ज्ञान और विशेषज्ञता को साझा करने का मार्ग प्रशस्त होगा। विशेष रूप से नैदानिक ​​और स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन, रोबोटिक्स सर्जरी, अस्पताल प्रशासन और शासन के क्षेत्रों में यह समझौता काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि समझौता ज्ञापन आईएमएस, बीएचयू को विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्या श्रीवास्तव ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन के तहत दोनों संस्थानों के बीच अनुभव, तकनीकी सहायता और शैक्षणिक सहयोग को साझा करने का प्रावधान है। यह केंद्र सरकार के “संपूर्ण सरकार” और “संपूर्ण समाज” दृष्टिकोण के अनुरूप है। शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने कहा कि समझौता ज्ञापन आईएमएस, बीएचयू को तकनीकी और प्रशासनिक सहायता दोनों प्रदान करता है और यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के कारण संभव हुआ है। बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर के. जैन ने कहा कि किसी संस्थान को दो मंत्रालयों द्वारा समर्थन मिलना दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि बीएचयू अपने शिक्षण मानकों, शोध परिणामों को बढ़ाना जारी रखेगा।

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(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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