भीलवाड़ा, 22 नवंबर (Udaipur Kiran) । हरीशेवा संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में हिंदुस्तान स्काउट गाइड के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय आवासीय स्काउट गाइड शिविर में संस्कृत के महत्व पर केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने भावी शिक्षकों को संस्कृत श्लोक, स्तुति, और मंत्र पाठन के माध्यम से भारतीय संस्कृति के मूल से परिचित कराया।
आश्रम के संत मायाराम की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में पल्लवी वच्छानी ने समन्वयक के रूप में विशिष्ट अतिथि की भूमिका निभाई। कार्यक्रम का उद्देश्य वैदिक संस्कृति की सुदृढ़ता, सनातन परंपरा के महत्व, और संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना था।
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने संस्कृत वांग्मय पर आधारित श्लोक, स्तुति, और वैदिक मंत्रों की प्रभावशाली प्रस्तुतियां दीं। विद्यालय की प्राचार्य डॉ. रूपा पारीक ने बताया कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को संस्कृत के महत्व और भारतीय संस्कृति की गहराई से जोड़ने का एक माध्यम है।
कार्यक्रम में संस्कृत आचार्य रामपाल शर्मा और पायल सिंघल ने निर्णायक की भूमिका निभाई। उन्होंने विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों का मूल्यांकन करते हुए संस्कृत भाषा और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण की सराहना की। संत मायाराम ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति का सार संस्कृत भाषा में निहित है। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे पांडित्यपूर्ण कार्यों और भारतीय वेशभूषा के माध्यम से संस्कृति को संरक्षित और प्रचारित करें।
जिला संगठन आयुक्त मोहनलाल महरिया ने शिविर के प्रतिवेदन को प्रस्तुत करते हुए आयोजन की उपलब्धियों और गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस शिविर में संस्कृत भाषा और भारतीय संस्कृति पर केंद्रित सत्रों के साथ-साथ स्काउट गाइड प्रशिक्षण भी दिया गया। कार्यक्रम संचालन निशी डोडवानी और मुन्नी शर्मा ने किया। शिविर के अंतिम दिन प्रतिभागियों को आश्रम के संतों और हरीशेवा धाम के सदस्यों का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने अपने आशीर्वचन में कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का मूल आधार है। उन्होंने बताया कि संस्कृत के माध्यम से ही सनातन परंपराओं और जीवन मूल्यों को सहेजा जा सकता है। कार्यक्रम में विद्यालय स्टाफ, स्काउट गाइड टीम, और संत समुदाय के सदस्यों की उपस्थिति रही। इस आयोजन ने संस्कृत और भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने और भावी शिक्षकों में इन मूल्यों को सुदृढ़ करने का संदेश दिया।
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(Udaipur Kiran) / मूलचंद