बिलासपुर, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डीबी में जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई है। बाघ की मौत के मामले में लगी खबर को स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप स्वीकार किया। सुनवाई में हाई कोर्ट ने टाइगर के मौत का कारण पूछा जिस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने शपथपत्र में बीमारी कारण बताया है। हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में निगरानी की बात कह कर अगली सुनवाई 13 जनवरी 2025 की रखी है।
जिसमें पिछली सुनवाई 11 नवंबर 2024 को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान कोरिया में बाघ की मौत पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए वन विभाग के उच्चाधिकरियों से जवाब-तलब किया था। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा था कि वन्य जीव नष्ट हो रहे हैं, पर्यावरण भी नष्ट हो रहे हैं, अब बचा क्या। वन्य जीव नहीं बचा पाएंगे, जंगल नहीं बचेंगे तो कैसे चलेगा? कोर्ट ने मामले में वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 10 दिन के अंदर व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब देने को कहा है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इस मामले में गुरुवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन विभाग ने व्यक्तिगत हलफनामा गुरुवार को पेश किया गया। जिसमें तथ्य निकलकर आया कि पोस्टमार्टम में जहर के रूप में संदेह जताया गया था, लेकिन बरेली भेजी गई बिसरा रिपोर्ट में जहर से मौत नहीं हुई है। जिसपर कोर्ट ने पूछा कि मौत कैसे हुई..? जिस पर महाधिवक्ता प्रफुल्ल और भारत ने बताया कि बरेली से आई बिसरा रिपोर्ट में बीमारी कारण निकला, जहर से मौत नहीं हुई स्पष्ट हुआ है। फिलहाल इस मामले में कोर्ट ने निगरानी रखने बात कही है और अगली सुनवाई 13 जनवरी 2025 सुनिश्चित की है।
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(Udaipur Kiran) / Upendra Tripathi