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कोलकाता फिल्म फेस्टिवल से बाहर हुआ बांग्लादेश, वीजा मुद्दों के कारण नहीं होगी कोई भागीदारी

कोलकाता फिल्म फेस्टिवल से बाहर हुआ बांग्लादेश

कोलकाता, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । कोलकाता पुस्तक मेले के बाद अब 30वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में भी बांग्लादेश की कोई भागीदारी नहीं होगी। इस वर्ष किसी भी श्रेणी में बांग्लादेश की ओर से कोई फिल्म पंजीकृत नहीं की गई है। फिल्म महोत्सव के अध्यक्ष और प्रसिद्ध निर्देशक गौतम घोष ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

घोष ने बताया कि इस बार की स्थिति पिछले वर्षों से बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा, वीजा संबंधी समस्याओं और बांग्लादेश में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण वहां की स्थिति सामान्य होने में समय लगेगा। इस बार परिस्थितियों के चलते पड़ोसी देश से कोई फिल्म सूची में शामिल नहीं है।

यह घटनाक्रम 28 वर्षों में पहली बार कोलकाता पुस्तक मेले में बांग्लादेशी प्रकाशकों की अनुपस्थिति के बाद सामने आया है। कोलकाता फिल्म फेस्टिवल का आयोजन चार दिसंबर से शुरू होगा।

कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (केआईएफएफ) में इस बार बांग्लादेशी फिल्मों की कमी महसूस की जाएगी। पिछली बार 28वें केआईएफएफ में मुहम्मद क़य्यूम की फिल्म ‘कुरा पाखिर शून्ये उरा’ को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन रॉयल बंगाल टाइगर पुरस्कार मिला था। इसके अलावा, 26वें केआईएफएफ में रेज़वान शाहरीर सुमित की फिल्म ‘नोनाजलेर काब्बो’ को एशियन सिलेक्ट (नेटपैक) पुरस्कार प्रदान किया गया था।

वीजा और प्रीमियर के कारण बाधित भागीदारी

इस बार बांग्लादेशी फिल्म ‘डियर मालती’ को भी महोत्सव की प्रतियोगिता श्रेणी में शामिल नहीं किया जा सका, क्योंकि इसका एशियाई प्रीमियर गोवा में चल रहे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में निर्धारित है।

फिल्म महोत्सव के किसी भी सत्र या कार्यशाला में बांग्लादेश से कोई विशिष्ट अतिथि या फिल्म निर्माता भी शामिल नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे वीजा संबंधित समस्याओं को प्रमुख कारण बताया गया है।

गौतम घोष ने उम्मीद जताई कि अगले वर्ष के फिल्म फेस्टिवल तक स्थिति फिर से सामान्य हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों की तरह अगली बार बांग्लादेश की भागीदारी फिर से देखने को मिलेगी।

गौतम घोष ने इससे पहले ‘पद्मा नदीर माझी’ और ‘मोनर मानुष’ जैसी चर्चित फिल्में बनाई हैं, जिनकी शूटिंग भारत और बांग्लादेश की सीमाओं पर की गई थी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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