काठमांडू, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के प्रस्तावित चीन भ्रमण से पहले सत्तारूढ़ दलों के बीच बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर सत्तारूढ़ दल नेपाली कांग्रेस और एमाले के बीच जारी जुबानी जंग को बंद करने और इस पर सहमति जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।
नेपाल की ओली सरकार के सत्तारूढ़ घटक दल नेपाली कांग्रेस के कई नेताओं द्वारा बीआरआई के कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। कांग्रेस के अधिकांश नेताओं ने सार्वजनिक बयान देते हुए चीन के ऋण जाल में फंसाने वाला कोई कदम नहीं उठाए जाने की नसीहत दी है। पिछली सरकार में विदेश मंत्री रहे कांग्रेस के नेता एन पी साउद ने कहा कि इस गठबंधन के बनते ही नेपाली कांग्रेस की पदाधिकारी की बैठक में बीआरआई के ऋण को स्वीकार नहीं किए जाने का निर्णय किया था और पार्टी को उस पर अडिग रहना चाहिए।
इसी तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा शेखर कोइराला, पार्टी के महामंत्री गगन थापा, पार्टी प्रवक्ता प्रकाश शरण महत सरीखे नेता ने भी खुल कर बीआरआई को आगे बढ़ाने के किसी प्रस्ताव का विरोध किया है। इन सभी नेताओं का कहना है कि चीन पहले अपने पुराने वादे को पूरा करे। साथ ही नेपाल को चीन से किसी प्रकार का ऋण नहीं लेने की बात पर पार्टी के फैसले में कोई बदलाव नहीं होने की बात भी कह रहे हैं।
इसी बीच प्रधानमंत्री की पहल पर नेपाली कांग्रेस के पार्टी सभापति शेर बहादुर देउवा, सरकार की विदेश मंत्री डा आरजू राणा, गृह मंत्री रमेश लेखक सहित पार्टी के दोनों महामंत्री गगन थापा और विश्व प्रकाश शर्मा को अपने निवास के बुलाकर इस विषय पर कोई बीच का रास्ता अपनाते हुए सहमति जुटाने का आग्रह किया है। इस बैठक में प्रधानमंत्री ओली के अलावा उनके प्रमुख सलाहकार विष्णु रिमाल, वित्त मंत्री विष्णु पौडेल, एमाले पार्टी के महामंत्री शंकर पोखरेल की भी मौजूदगी रही।
करीब 6 घंटे तक चली इस बैठक के बाद कांग्रेस के महामंत्री गगन थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली के तरफ से बीआरआई के तहत न्यून ब्याज पर ऋण लेने की बात स्वीकार करने के लिए सहमति जुटाने का आग्रह हुआ है। थापा ने बताया कि दोनों दलों के नेताओं से इस संबंध में किसी भी प्रकार के बयानबाजी से बचने के लिए कहा गया है। गगन थापा ने कहा कि बीआरआई के कारण इस गठबंधन के टूटने या सरकार गिरने की कोई संभावना नहीं है। क्योंकि दोनों दलों के बीच कोई न कोई समझदारी बन लिया जाएगा।
एमाले पार्टी के प्रवक्ता प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि बीआरआई के प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर करते समय नेपाली कांग्रेस की ही सरकार थी और अभी सबसे अधिक विरोध उनके तरफ से ही किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जिस ग्रांट की बात कर रही है वह भी नेपाल के लिए आवश्यक होगा तब ही लिया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास