नई दिल्ली, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की राजनीतिक दल के रूप में मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने 7 सितंबर 2018 को एआईएमआईएम और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था। याचिका तेलंगाना के शिवसेना के नेता टीएन मुरारी ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों को नहीं मानती है। इसमें यह भी कहा गया था कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है इसलिए उनकी बतौर राजनीतिक दल मान्यता रद्द की जानी चाहिए। किसी भी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करते समय निर्वाचन आयोग उसके पदाधिकारियों से इस बात का हलफनामा लेता है कि वे देश के संवैधानिक मूल्यों का पालन करेंगे। याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम किसी खास धर्म के बढ़ावा के लिए काम करती है।
कोर्ट ने कहा कि भ्रष्ट आचरण को परिभाषित करते समय चुनाव प्रक्रिया के समय के विवाद का ध्यान रखा जाता है और उसके लिए चुनाव याचिका या जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8ए के तहत उम्मीदवारों की अयोग्यता के लिए याचिकाएं दायर की जाती हैं। कोर्ट ने साफ किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 का प्रावधान किसी राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी नहीं होते हैं। धारा 123 का प्रावधान संबंधित चुनाव के परिणाम या किसी को चुनाव में हिस्सा लेने से अयोग्य करार देने से जुड़ा हुआ है। ऐसे में याचिकाकर्ता की धारा 123 के प्रावधान से जुड़ी दलील खारिज की जाती है।
(Udaipur Kiran) /संजय कुमार
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(Udaipur Kiran) / पवन कुमार