Madhya Pradesh

भोपाल के बाद इंदौर में भी हटेगा बीआरटीएस, मुख्यमंत्री बोले- इससे लोगों को परेशानी

इंदौर  बीआरटीएस की फाइल फोटो

इंदौर, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल के इंदौर शहर में भी एबी रोड पर बने बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) को हटाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को इंदौर प्रवास के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि जनता को इससे परेशानी हो रही है और जनप्रतिनिधियों की मांग पर यह निर्णय लिया जा रहा है। इस संबंध में हम कोर्ट के सामने भी सरकार की ओर से अपना पक्ष रखेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भोपाल में जैसे बीआरटीएस हटाया गया है, उससे यातायात में सुविधा मिली है। इंदौर में भी बीआरटीएस को लेकर हमें लोगों की शिकायतें मिल रही हैं, जो भी तरीका लगाना पड़ेगा, इसे हटाएंगे। कोर्ट के सामने भी हम अपना पक्ष रखेंगे। सब लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है। उम्मीद है कि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।

गौरतलब है कि इंदौर में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) को लेकर मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिकाएं लगी हैं। दरअसल, इंदौर में निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक करीब 11.5 किमी लंबा बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) बना हुआ है। इसे लेकर दो जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में लगी थी, जिसे हाईकोर्ट की मुख्य पीठ (जबलपुर) ट्रांसफर कर दिया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधिपति के सामने मामले में सुनवाई भी होना थी, लेकिन नंबर नहीं आया।

बीआरटीएस पर हर दिन केवल यात्री बसों का संचालन किया जाता है। इसके साथ ही यहां एंबुलेंस को निकलने की अनुमति है। इन बसों में रोजाना 50 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। लेकिन बीआरटीएस की वजह से अन्य वाहनों को जगह कम मिलती है और इस पूरे रूट पर कई जगह जाम की स्थिति बन जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने इंदौर के बीआरटीएस को लेकर दो जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट में लगाई थीं। हाईकोर्ट ने वर्तमान परिस्थितियों में बीआरटीएस प्रोजेक्ट की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए पांच सदस्यों की कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। जिसमें वरिष्ठ अभिभाषक अमित अग्रवाल के साथ ही आईआईएम और आईआईटी के डायरेक्टर की ओर से नामित विशेषज्ञ शामिल थे। कोर्ट इसके पहले भी वर्ष 2013 में बीआरटीएस की उपयोगिता और व्यवहारिकता की जांच के लिए कमेटी गठित कर चुकी है। बीआरटीएस को लेकर बनी इस समिति को आठ सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करना थी। इन याचिकाओं को एमपी हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने जबपुर हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था।

(Udaipur Kiran) तोमर

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