धर्मशाला, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट के प्रभाावितों को आए 160 करोड़ को कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक (केसीसीबी) से निजी बैंक में ट्रांसफर करने पर सियासी घमासान मच गया है। यह सारा मामला अब चर्चा का विषय भी बन गया है कि आखिर किसके इशारे पर सहकारी बैंक से करोड़ों रूपए एक निजी बैंक को फायदा पंहुचाने के लिए ट्रांसफर किए गए हैं। इस सारे मामले में अब अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होना शुरू हो गए हैं। राजनीतिक दल इसे बड़ा भ्रष्टाचार बता रहे हैं तो आर्थिक विशलेषकों का मानना है कि यह सारा प्रकरण ब्यूरोक्रेसी ने अपने निजी स्वार्थ के लिए रचा है।
वहीं केसीसीबी की कर्मचारी यूनियन खफा है। यूनियन के अध्यक्ष पंकज धीमान ने कहा कि कांगड़ा के लोगों का पैसा, कांगड़ा के अपने बैंक कांगड़ा सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक में ही भेजा जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया, बैंक के चेयरमैन और बैंक की मैनेजमेंट से आग्रह किया है कि इस मामले में हस्तक्षेप करे और इस मामले को प्राथमिकता दी जाए। सारा मामला जैसे ही मीडिया मेंं आया तो लोगों में भी नई चर्चा छिड़ गई। लोगों का कहना है कि कांगड़ा एयरपोर्ट से कांगड़ा के लोग प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन उनके पैसों से निजी बैंक को बैठे-बिठाए करोड़ों को फायदा हो गया।
गौर हो कि गगल एयरपोर्ट का विस्तार जिला कांगड़ा का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है और इसकी जद में हजारों परिवार आए हैं, लिहाजा प्रभावितों के लिए हजारों करोड़ का आवंटन किया जाएगा। यदि यह सारा पैसा केसीसीबी के माध्यम में जाता है तो बैंक को भी काफी लाभ होगा और केसीसीबी अपने ग्राहकों को और बेहतर सुविधा दे पाएगा, जबकि निजी बैंक का कांगड़ा के विकास से कोई लेना देना नहीं है।
गौर हो कि प्रदेश सरकार ने प्रभावितों के लिए पहले 34 करोड़ और फिर 126 करोड़ रुपए केसीसी बैंक को जारी की। लेकिन दो दिनों के बाद ही इसे एक निजी बैंक में जमा करवाने का फरमान आ गया। आर्थिक विशलेषक बताते हैं कि सरकार के अपने कांगड़ा बैंक यह धनराशि मात्र एक माह भी रहती तो बैंक को सीधे एक करोड़ का लाभ होना था। यदि एक साल रहती तो 12 करोड़ तक का लाभ हो सकता था। लेकिन यहां कुछ और ही खेल हो गया। आखिर इस ग्रांट को निजी बैंक खाते में डालने की नौबत क्यों आ गई है। यह सब किसके इशारे पर हो रहा है। इस सारे प्रकरण की जांच होनी चाहिए।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया