जबलपुर, 21 नवंबर (Udaipur Kiran) । नर्सिंग फर्जीवाड़े मामले में आज लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल बेंच में जस्टिस संजय द्विवेदी एवं जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष पीठ के समक्ष हुई ।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक्ट के संशोधन को चुनौती दी थी कोर्ट को बताया गया था कि मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थित, दक्षतापूर्ण, एकरूपतापूर्ण, गुणवत्तायुक्त शिक्षा, शोध सुनिश्चित करने के प्रयोजन से की गई थी जिसे सरकार द्वारा 2024 में एक्ट में संशोधन कर नर्सिंग एवं पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों की संबद्धता का नियंत्रण क्षेत्रीय विश्वविद्यालय को सौंप दिया गया। याचिकाकर्ता ने इस निर्णय को कटघरे में रखते हुए तर्क दिये थे कि अन्य क्षेत्रीय विश्वविद्यालयो के पास स्वास्थ्य संबंधी विषयों की विशेषज्ञता नहीं है तथा अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य संबंधी कोर्सों का संचालन हेल्थ यूनिवर्सिटी द्वारा किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए निर्देश दिये हैं कि सत्र 2024-25 की संबद्धता प्रक्रिया मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा की संपादित की जावेगी ।
हज़ारों नर्सिंग छात्रों की परीक्षा परिणाम होंगे जारी –
सत्र 2019-20 एवं 2020-21 के विभिन्न नर्सिंग पाठ्यक्रमों की वार्षिक तथा सेमेस्टर परीक्षाएँ हाईकोर्ट के आदेश पर मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा ली गई थी, परीक्षाफल हाईकोर्ट की अनुमति नहीं मिलने से जारी नहीं हो सके थे। आज हाईकोर्ट ने उन परीक्षाओं के परिणाम जारी करने की अनुमति मेडिकल सानिस यूनिवर्सिटी को दे दी है, जिसके चलते हज़ारों छात्र जो परिणामों के इंतज़ार में थे उन्हें राहत मिल सकेगी।
सीबीआई जाँच में डेफ़िसिएंट पाये गये कॉलेजों की रिपोर्ट होगी सार्वजनिक –
मध्य प्रदेश के लगभग 700 नर्सिंग कॉलेजों की हाईकोर्ट द्वारा कराई गई जांच की रिपोर्ट सीबीआइ ने सीलबंद लिफाफे में हाईकोर्ट में पेश की थी जिसकी एक प्रति हाईकोर्ट द्वारा नर्सिंग काउंसिल को तथा याचिकाकर्ता को सौंपी गई थी इस मामले में हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि कमी पाए गए अर्थात डेफिशिएंट कॉलेजों की सूची और उनमें पाई गई कमियों को नर्सिंग काउंसिल की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए । ग़ौरतलब है कि हाईकोर्ट की पहली जाँच में सुटेबल पाये गये 169 नर्सिंग कॉलेजो की दोबारा जाँच भी हाईकोर्ट ने करायी थी, जिसमें अनेकों कॉलेज सुटेबल की सूची से बाहर हो गये हैं । साथ ही दूसरे राउंड की सीबीआई जाँच में जी.एम.एम. नर्सिंग कॉलेजों की जाँच के आदेश दिये थे जिसकी रिपोर्ट में भी भारी संख्या में कॉलेज अपात्र हो गये हैं ।
डीएमई और रजिस्ट्रार के निर्णयों पर हाईकोर्ट नाराज़ –
हाईकोर्ट ने अभ्यावेदन संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से नर्सिंग काउंसिल के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नाराज़गी व्यक्त की है तथा डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के निर्णयों पर हैरानी जताई है वही दूसरी ओर याचिकाकर्ता की ओर से अनियमितता में लिप्त इंस्पेक्टर को रजिस्ट्रार बनाये जाने को चुनौती दी गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता को दोषी रजिस्ट्रार पर एक्शन लेने के मौखिक रूप से निर्देश दिये हैं साथ ही हिदायत दी है कि हाईकोर्ट में मामला लंबित रहते यदि अधिकारियों द्वारा कोई लापरवाही बरती गई तो इसे गंभीरता से लिया जायेगा ।
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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक