– मार्केट सेंटिमेंट सुधरने और एफआईआई की वापसी से ही आएगी बाजार में तेजी
नई दिल्ली, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । घरेलू शेयर बाजार में 30 सितंबर से शुरू हुई गिरावट पर मंगलवार को ब्रेक लगता हुआ नजर आया। हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार की एक दिन की मजबूती से आने वाले दिनों की चाल का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। घरेलू शेयर बाजार में एक महीने से अधिक समय से जारी गिरावट पर रोक लगने का रास्ता तभी साफ होगा, जब विदेशी संस्थागत निवेशक बिकवाली की जगह लिवाली शुरू करेंगे।
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सितंबर में खत्म हुई तिमाही के दौरान घरेलू शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों ने मार्केट सेंटिमेंट पर काफी बुरा असर डाला। ऐसे में अब दिसंबर में खत्म होने वाली तिमाही के नतीजे का घरेलू शेयर बाजार को इंतजार है। इन नतीजे का बाजार पर काफी असर पड़ेगा। अगर तीसरी तिमाही में कंपनियों के नतीजे सकारात्मक रहे, तो शेयर बाजार जोरदार वापसी कर सकता है। इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद नई सरकार की नीतियों से भी विदेशी निवेशकों की लिवाली या बिकवाली पर असर पड़ेगा।
आहूजा कमोडिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ मनीष आहूजा का कहना है कि मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार वापसी करता हुआ नजर आ रहा था। दिन के पहले सत्र में ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांक में 1.3 प्रतिशत से अधिक की तेजी आ गई थी, लेकिन यूक्रेन द्वारा रूस पर हमला करने की वजह से आखिरी घंटे में ही विदेशी निवेशकों ने चौतरफा बिकवाली करके मार्केट सेंटिमेंट को बिगाड़ दिया। हालांकि इस बिकवाली के बावजूद शेयर बाजार सामान्य बढ़त के साथ बंद होने में सफल रहा लेकिन इसके कारण निवेशकों के बीच डर का माहौल बन गया।
मनीष आहूजा के अनुसार मार्केट में अगर एक सप्ताह भी लगातार तेजी का माहौल बन जाए तो सेंटिमेंट पॉजिटिव हो सकते हैं, जिससे शेयर बाजार को ट्रिगर मिल सकता है। ऐसा ट्रिगर लंबे समय तक कायम रहेगा, इसकी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। मार्केट सेंटिमेंट में स्थाई मजबूती तभी नजर आएगी, जब विदेशी संस्थागत निवेशक घरेलू शेयर बाजार से पैसे की निकासी करना बंद कर देंगे या न्यूनतम कर देंगे। इसके साथ ही अगर विदेशी निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में पैसा डालना शुरू कर दिया तो शेयर बाजार एक बार फिर सरपट चाल में दौड़ना शुरू कर देगा।
मार्केट की स्थिति पर मनीष आहूजा ने कहा कि 30 सितंबर से लेकर अभी तक के कारोबार में विदेशी निवेशक बिकवाली करके इक्विटी मार्केट से 1.20 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। अच्छी बात ये रही है कि इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी आक्रामक अंदाज में लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की है। अगर दूसरी तिमाही के दौरान कंपनियों के नतीजा कमजोर नहीं रहे होते, तो घरेलू शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट नहीं आती। कंपनियों के कमजोर नतीजों की वजह से मार्केट सेंटिमेंट लगातार बिगड़ता चला गया।
कंपनियों के कमजोर नतीजों की वजह से घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा जमकर खरीदारी करने के बावजूद शेयर बाजार करीब 10 प्रतिशत तक टूट गया। अगर कंपनियों के तिमाही नतीजे पॉजिटिव रहते तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के सपोर्ट से ही शेयर बाजार भले ही मजबूती के नए-नए रिकॉर्ड नहीं बना पाता लेकिन कम से कम अपने सर्वोच्च स्तर के करीब तो बना ही रहता। इसलिए अगर दिसंबर में खत्म होने वाली तिमाही में कंपनियों के नतीजे पॉजिटिव रहे, तो मार्केट सेंटिमेंट्स में सुधार हो सकता है। ऐसे में घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के सपोर्ट से भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर मजबूती की राह पर वापसी कर सकता है।
इसके साथ ही अगर डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद अमेरिकी प्रशासन की नीतियों में परिवर्तन हुआ तो विदेशी निवेशक भी भारतीय बाजार से पैसा निकालने की जगह भारतीय बाजार में पैसा डालना शुरू कर सकते हैं। ऐसा होने पर मार्केट सेंटिमेंट को और बूस्ट मिलेगा, जिससे शेयर बाजार एक बार फिर मजबूती की नई इबारत लिखना शुरू कर देगा। मनीष आहूजा का कहना है कि अभी छोटे और खुदरा निवेशकों को बाजार से दूरी बना कर रखनी चाहिए। बाजार में जिस तरह दबाव का माहौल बना हुआ है, उसमें यदा-कदा उछाल जरूर आ सकता है लेकिन ऐसा उछाल छोटे निवेशकों को बड़े नुकसान में भी डाल सकता है।
—————
(Udaipur Kiran) / योगिता पाठक