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कृषि अनुसंधान के लिये मॉडल बने प्रदेश : कृषि मंत्री

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में कृषि मंत्री चंद्र कुमार और अन्य।

धर्मशाला, 20 नवंबर (Udaipur Kiran) । चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में प्रदेश के कृषि अधिकारियों के लिये बुधवार को रबी फसलों पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रोफेसर चंद्र कुमार ने किया। उप मुख्य सचेतक, केवल सिंह पठानिया और चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नवीन कुमार इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

कृषि एवं पशुपालन मंत्री, प्रोफेसर चंद्र कुमार ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और किसानों को स्वावलंबी बनाने में कृषि विश्वविद्यालयों का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय अनुसंधान तथा शोध का केंद्र हैं और यहां से इजात शौध किसानों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि देश में हरित क्रांति का श्रेय मुख्यता देश के कृषि वैज्ञानिकों को ही जाता है।

उन्होंने वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों से किसानों को रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मौसम अनुकूल कृषि, राज्य में खाद्य फसलों, तिलहन, दालों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती है।

उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित फसल किस्मों और प्रौद्योगिकी को किसानों में स्थानांतरित करने में कृषि अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किये, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

कृषि मंत्री ने पहाड़ी प्रदेशों के कृषि विश्वविद्यालयों का एक अलग संगठन बनाकर आवश्यकता अनुसार शोध तथा अनुसंधान करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भिन्न भिन्न जलवायु के चलते, प्रदेश को कृषि अनुसंधान के लिए मॉडल शोध केंद्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने फसल विविधिकरण के साथ मध्यवर्ती और परिशुद्ध खेती पर भी बल दिया।

उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से हिमाचल जैसे छोटे राज्य में किसी एक चीज़ पर विशेषज्ञता हासिल करने की दिशा में प्रयास करने पर कार्य करने निर्देश दिये। कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों को पहाड़ी क्षेत्र के अनुसार कृषि अनुसंधान पर गहन अध्ययन के साथ रिमोट सेंसिंग और मिट्टी पोषक मानचित्रण करने का सुझाव दिया। कृषि मंत्री ने ड्रोन प्रौद्योगिकी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग, फसल विविधीकरण, कृषि मशीनीकरण में रोबोट के उपयोग आदि में विश्वविद्यालय की पहल की सराहना की। चंद्र कुमार ने गुणवत्ता वाले बीज के महत्व पर भी प्रकाश डाला और छोटे समूहों को अपनाने की सलाह दी।

कृषि मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों, तथा कृषि क्षेत्र में अध्ययन कर रहे छात्रों से फील्ड में जाने का आह्वान किया। विश्वविद्यालय में एक आधुनिक लैब बनाने, रिमोट सेंसिंग और कृषि विषय के छात्रों के लिये मिट्टी की पोषकता मानचित्रण इत्यादि पर कोर्स डिज़ाइन करने का भी सुझाव दिया।

उधर उप मुख्य सचेतक, केवल सिंह पठानिया ने कहा कि खेतीबाड़ी में उनकी गहरी रुची है और उनके पास 39 किस्म के पारमपरिक बीज हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों से शौध के साथ-साथ पारम्परिक बीजों को संरक्षित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि शौध और अनुसंधान किसान तक पहुंचाने के स्थानीय बोली का प्रयोग हो, जिससे तकनीक और अनुसंधान को किसान अच्छी तरह समझ सके।

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति ने कृषि मंत्री और उप मुख्य सचेतक का विश्वविद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधीन चार महाविद्यालय 13 अनुसंधान केंद्र तथा 8 कृषि विज्ञान केंद्र कार्यशील हैं जहां अध्यापन, अनुसंधान तथा प्रसार का कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में 185 से अधिक विभिन्न किस्म के बीज और 165 विभिन्न प्रोडक्शन तकनीक रिकमेंड की हैं।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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