नई दिल्ली, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने शिरोमणि अकाली दल के पूर्व प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और पंजाब के पूर्व विधायक विक्रम सिंह मजीठिया से पूछा है कि क्या वे रिटायर्ड जज जस्टिस रंजीत सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक बयान के लिए माफी मांगने को तैयार हैं। जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बेहतर होगा कि पक्षकार आपस में बातचीत कर मसले को सुलझाने की कोशिश करें।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जस्टिस रंजीत सिंह की ओर से पेश वकील निधेश गुप्ता से पूछा कि आप निर्देश लेकर बताएं कि अगर बादल और मजीठिया माफी मांगते हैं तो क्या उन्हें वो स्वीकार है। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को दो हफ्ते में निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह अच्छा नहीं लगता। आप पूर्व उप-मुख्यमंत्री हैं और वो पूर्व जज हैं।
दरअसल जस्टिस रंजीत सिंह ने एक न्यायिक आयोग का नेतृत्व किया थाए जिसने जून 2015 और मार्च 2017 के बीच पंजाब में हुई बेअदबी और पुलिस फायरिंग की विभिन्न घटनाओं की जांच की थी। आयोग ने डेरा सच्चा सौदा और उनके अनुयायियों को फरीदकोट के एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की चोरी और अपवित्रता और अपमानजनक पोस्टर लगाने का जिम्मेदार ठहराया था। रिपोर्ट में बेअदबी विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के लिए शिरोमणि अकाली के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल को दोषी ठहराया था। उसके बाद अगस्त 2018 में सुखबीर सिंह बादल ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया था कि जस्टिस सिंह के पास कोई कानूनी योग्यता नहीं है। बादल ने आरोप लगाया था कि आयोग की रिपोर्ट तैयार करने में गवाहों के बयानों समेत दस्तावेजों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। कुछ दिनों बाद बिक्रम मजीठिया समेत शिरोमणि अकाली दल के नेताओं ने पंजाब विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया था जिसमें आयोग का कथित तौर पर मजाक उड़ाया गया था।
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा