Uttar Pradesh

एनजीटी के सवाल के बहाने सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा

फोटो प्रतीक

—सोशल मीडिया के जरिए उन्होंने सरकार पर जमकर तंज कसा

बोले—‘नमामि गंगे’ व ‘स्वच्छ गंगा’ के नाम पर भाजपा सरकार ने पिछले 10 वर्षों में अरबों रुपयों के फ़ंड निकाले

वाराणसी, 19 नवम्बर (Udaipur Kiran) । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने असि और वरुणा नदी की दुर्दशा पर वाराणसी के जिलाधिकारी को कड़ी फटकार लगाई है। इसको लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर कर लिखा कि जिन्होंने माँ गंगा से झूठ बोला, उनके वादों पर न जाएं। ‘नमामि गंगे’ व ‘स्वच्छ गंगा’ के नाम पर भाजपा सरकार में पिछले 10 वर्षों में अरबों रुपयों के फ़ंड निकाले तो गये पर वो फ़ंड माँ गंगा के घाट तक नहीं पहुँचे।

उन्होंने लिखा कि फाइलों में गंगा जी के स्वच्छ, अविरल, निर्मल होने के दावों का सच ये है कि वाराणसी में माँ गंगा इतनी दूषित हो चुकी हैं कि पीने योग्य तो छोड़िए, ये जल नहान-स्नान के लायक भी नहीं है। इसी संदर्भ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने देश के प्रधान संसदीय क्षेत्र ‘वाराणसी’ के ज़िलाधिकारी महोदय से ये पूछकर सारा सच स्पष्ट कर दिया है कि ‘क्या आप गंगाजल पी सकते हैं?’ साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की ये सलाह भी डबल इंजन की सरकार के लिए चुल्लू भर पानी में डूबने के बराबर है कि उनके राज में तथाकथित क्योटो अर्थात काशी के डीएम साहब अपनी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए गंगा किनारे एक चेतावनी भरा बोर्ड लगवा दें कि ‘ये गंगा जल पीने-नहाने योग्य नहीं है।’

गौरतलब हो कि बीते सोमवार को दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए एनजीटी की दो सदस्यीय पीठ ने वाराणसी के जिलाधिकारी से पूछा कि क्या आप गंगा का पानी पी सकते हैं? आप अपने आपको असहाय मत महसूस करिए। जिलाधिकारी हैं आप, अपनी शक्तियों का उपयोग करिए और एनजीटी के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करिए। नदी किनारे बोर्ड लगवा दीजिए कि गंगा जल नहाने और पीने योग्य नहीं है। जस्टिस अरुण कुमार त्यागी व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल ने असि और वरुणा नदी मामले की सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी भी की। न्यायमूर्ति ने कहा कि क्यों नहीं बोर्ड लगा देते हैं कि गंगा का पानी नहाने व पीने योग्य नहीं है?। आप लोग अपनी सुविधा के मुताबिक काम करते हैं।

याचिकाकर्ता सौरभ तिवारी के अनुसार एनजीटी ने मामले को महत्वपूर्ण करार देते हुए सुनवाई के लिए अगली तिथि 13 दिसंबर को तय की है। तीन महीने पहले सुनवाई में एनजीटी ने वाराणसी जिलाधिकारी पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था।

—————

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

Most Popular

To Top