Uttar Pradesh

मुरादाबाद में एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर काशी के संत भड़के

स्वामी ​जीतेन्द्रानंद सरस्वती

—कावड़ यात्रा को लेकर दिए गए बयान पर पलटवार,बोले—जो आज कांवड़ियों की वजह से सत्ता में आए हैं, वो उन पर फूल बरसाते हैं

वाराणसी,19 नवम्बर (Udaipur Kiran) । मुरादाबाद में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (एआईएमआईएम ) के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने कावड़ यात्रा को लेकर विवादास्पद सवाल उठाया है। शौकत अली के बयान पर काशी में संतों में नाराजगी है। मंगलवार को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी ​जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने शौकत अली के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने शौकत अली के बयान को घोर निंदनीय बताया।

स्वामी जीतेन्द्रानंद ने कहा कि सड़कें चलने के लिए होती है मियां जी,नमाज पढ़ने के लिए नही। नमाज के नाम पर वक्फ ने नौ लाख एकड़ से अधिक भूमि पर जबरिया कब्जा कर रखा है उस पर नमाज क्यों नही पढ़ते। सड़कें नमाज पढ़ने के लिए नहीं होती,जिस काम के लिए होती हैं कांवड़िया वहीं काम करते हैं। उस पर चलते हैं। जब कांवड़िए सड़क पर चलते हैं, तो उनके पैर में छाले पड़ते हैं। तब श्रद्धालु और भक्तजन उनकी सेवा करते हैं। जो आज कांवड़ियों की वजह से सत्ता में आए हैं, वो उन पर फूल बरसाते हैं। उनके पैरों का प्रक्षालन करते हैं, तो तुम्हारे पेट में दर्द क्यों होता है।

गौरतलब हो कि एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने मुरादाबाद में बयान दिया था कि अगर हम दो मिनट सड़क पर नमाज पढ़ ले, तो शोर मच जाता है। यह सड़कें किसी के बाप की नहीं हैं। मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जनसभा में शौकत अली ने कहा कि कावड़ यात्रा में कांवड़िये मस्त रहते हैं, चिलम भी मारते हैं और शराब पीकर हुडदंग भी मचाते हैं। वे गाड़ियां भी तोड़ते हैं। लेकिन हमारा पुलिस विभाग जाकर उनके पैरों पर मरहम लगाता है। उनके ऊपर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए जाते हैं। शौकत ने सवाल किया कि ‘ बताएं कि मुरादाबाद-बरेली से लेकर गाजियाबाद की सड़कें सावन में इस साल एक महीने के लिए और पिछले साल दो महीने के लिए ब्लॉक नहीं की गई थीं? । अगर हम पर दो मिनट की नमाज पढ़ने की पाबंदी है, तो एक महीने सड़क जाम करके आप कांवड़ियों को चलाने की कैसे छूट दे रहे हैं? यह मुल्क किसी एक का नहीं, सभी का है। हम सभी ने मिलकर मुल्क को बनाया है। इस तरह का काम करके आप हिंदू-मुसलमान को बांटने का काम कर रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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