लखनऊ, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । “अंतरराष्ट्रीय भागीदारी उत्सव” के चौथे दिन सोमवार को वियतनाम के कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियां हुईं वहीं भारत के विभिन्न अंचलों से आए कलाकारों की पारंपरिक वेशभूषा के शो ने दर्शकों की प्रशंसा हासिल की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय प्रस्तुतियों से पहले पारंपरिक वेशभूषाओं का प्रदर्शन आमंत्रित कलाकारों के माध्यम से किया गया। इसमें उत्तराखंड, असम, छत्तीसगढ़, केरल, गोवा, बिहार की पारंपरिक वेशभूषा ने इस आयोजन का आकर्षण बढ़ाया। छत्तीसगढ़ के गैण्डी नृत्य में पुरुष कलाकारों ने लकड़ी के डंडों पर चढ़कर डांस किया जिसे वह गैंडी कहते हैं। यह नृत्य उन्नत फसल की कामना के लिए किया जाता है। इसमें नगड़िया जैसा वाद्य निशान के साथ ढपरा का वादन किया जाता है। कौड़ी से सजी वेशभूषा धारण किये हुए कलाकारों के सिर पर मोर के पंख उनके नृत्य के आवश्यक अंग बने थे।
गुजरात के सिद्धि धमाल नृत्य में कलाकारों ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। कभी उन्होंने मुंह से आग का फव्वारा उगला तो कभी उन्होंने फुटबाल की तरह सर से किक लगाते हुए नारियल ही तोड़ दिया। ढोल की थाप के साथ किया गया यह नृत्य देखते ही बना। पश्चिम बंगाल के सभी पुरुष कलाकारों ने नटुआ नृत्य में नटराज के तांडव जैसा जोशीला नृत्य किया। इसमें कलाकारों ने शरीर पर मिट्टी से विभिन्न पारंपरिक अल्पनाएं बनायी हुई थीं। ढोल ताशा, नगाड़ा, शहनाई के साथ उन्होंने एक ही जगह पर कलाबाजी दिखाकर तालियां बटोरीं। असम के दल के कलाकारों में महिलाओं ने लाल पीले रंग की वेशभूषा पहन कर समूह नृत्य किया। इसमें ड्रम की तरह खम, बांसुरी की भांति सिंफू, वायलिन की तरह के वाद्य सिरजा के साथ नृत्य किया।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन