नई दिल्ली, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली के दक्षिणी रिज में बिना अनुमति के लगभग 1100 पेड़ काटने के मामले पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर से शुरू हो रहे हफ्ते में होगी।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि जब वो नालसा के चेयरमैन थे तो वे पटना गए थे और दिल्ली के उप राज्यपाल के साथ जेल की यात्रा की थी। ऐसे में इस मामले पर मेरा सुनवाई करना ठीक नहीं होगा। इसके पहले 16 अक्टूबर को दिल्ली के उप राज्यपाल से हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। दिल्ली के उप राज्यपाल डीडीए के चेयरमैन हैं। कोर्ट ने उप राज्यपाल को हलफनामे में ये बताने को कहा था कि क्या उनको जानकारी दी गई थी कि पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि अगर उप राज्यपाल को गुमराह किया गया तो जिम्मेदार लोगों पर विभागीय या आपराधिक कार्रवाई करें।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएं कि क्या वन विभाग के अधिकारियों सहित उसका कोई भी अधिकारी पेड़ काटने के दौरान मौजूद था। दिल्ली सरकार ने कहा था कि 14 फरवरी का 422 पेड़ों को काटने का दिया गया आदेश वापस ले लिया है। कोर्ट ने कहा था कि यह एक स्वीकार्य स्थिति है कि ट्री ऑफिसर ने 422 पेड़ों को काटने की कभी कोई अनुमति नहीं दी। दिल्ली सरकार को 422 पेड़ों को काटने की अवैध अनुमति देने का दोष स्वीकार करना चाहिए। दिल्ली सरकार को यह बताना चाहिए कि वह पेड़ों की इस अवैध कटाई की भरपाई कैसे करेगी। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई किसी भी कार्रवाई के बारे में हलफनामा दाखिल कर बताए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि रिज फॉरेस्ट एरिया के लिए सरकार द्वारा अनुमति देना अवमानना है। हम अवमानना जारी करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि आप अपने अधिकारी से फिर से पूछें कि क्या वह सरकार द्वारा इस अधिसूचना को वापस ले रहे हैं कि नहीं। अगर वह सहमत नहीं होता है, तो हम अभी अवमानना नोटिस जारी करेंगे। कोर्ट ने पूछा था कि 1100 पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने क्या कार्रवाई की। क्या आपने इस बारे में कोई जांच की है कि किस प्रजाति के पेड़ काटे गए। तब वन विभाग के वकील ने कहा कि हमारे पास पूरी सूची है।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के दक्षिणी रिज इलाके में बड़े पैमाने पर पेड़ों को काटने के मामले में डीडीए के उपाध्यक्ष सुभाशीष पांडा के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने 16 मई को पांडा को गुमराह करने वाले हलफनामा पर नाराजगी जताते हुए अवमानना नोटिस जारी किया था। डीडीए के उपाध्यक्ष ने अपने हलफनामा में कहा था कि उनकी जानकारी के बिना 642 पेड़ काटे गए। इसी हलफनामा पर गौर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब डीडीए पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
(Udaipur Kiran) /संजय
—————
(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह