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वित्त वर्ष 2025 में 500 नई शाखाएं खोलेगा एसबीआई : सीतारमण

एसबीआई मुंबई मुख्य शाखा के शताब्दी समारोह को संबोधित करते सीतारमण
एसबीआई मुंबई मुख्य शाखा के शताब्दी समारोह को संबोधित करते सीतारमण
एसबीआई मुंबई मुख्य शाखा के शताब्दी समारोह को संबोधित करते सीतारमण

नई दिल्ली, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र का स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) वित्त वर्ष 2024-25 में 500 नई शाखाएं खोलेगा। वित्‍त मंत्री ने यहां एसबीआई मुंबई मुख्य शाखा भवन के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग पीएसयू के प्रभावशाली विकास और बैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र में इसके योगदान की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि एसबीआई की 22,500 शाखाएं हैं। इस वित्‍त वर्ष में 500 और शाखाएं जुड़ने की उम्मीद है। एसबीआई के पास 65 हजार एटीएम हैं, जो देश के सभी एटीएम का 29 फीसदी है।

एसबीआई मुंबई मुख्य शाखा भवन के शताब्दी समारोह में सीतारमण ने कहा कि इसके पास 85 हजार बैंकिंग संवाददाता हैं, इसकी जमाराशि कुल जमाराशि का 22.4 फीसदी है। इसके 50 करोड़ से ज्‍यादा ग्राहक हैं, जबकि कुल डेबिट कार्ड व्यय का 25 फीसदी हिस्सा इसका है। देश के कुल मोबाइल बैंकिंग लेन-देन की इसकी 22 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि यूपीआई प्रेषक बैंक लेन-देन का 25 फीसदी हिस्सा भी इसका है।

वित्त मंत्री ने कहा कि एसबीआई फॉर्च्यून 500 सूचीबद्ध बैंकों में सूचीबद्ध होने वाला एकमात्र भारतीय बैंक भी है। उन्हाेंने एसबीआई द्वारा अपनाए गए डिजिटल विकास की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि बैंक ने अपनी सभी शाखाओं में डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास पर समान ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि एसबीआई की डिजिटल ऐप के 8 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं, जबकि इसके इंटरनेट बैंकिंग ग्राहक विशेष रूप से खुदरा क्षेत्र में अब कुल ग्राहक 13.2 करोड़ हैं।

सीतारमण ने पिछले दस वर्षों में एसबीआई की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बैंक ने देश के दूरदराज के इलाकों में भी लोगों तक पहुंचने और उनकी सेवा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्‍होंने कहा कि कुछ देशों की आबादी भी इतनी है, लेकिन आप इतने लोगों को सेवा दे रहे हैं और मैं समझती हूं कि आपके डिजिटल निवेश इतने मजबूत हैं कि यह प्रति दिन करीब 20 करोड़ यूपीआई लेन-देन को संभाल सकता है, ये अपने आप में एक इतिहास है।

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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर

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