लखनऊ, 17 नवंबर (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित लोक नायक बिरसा मुण्डा की जयंती “जनजातीय गौरव दिवस” के अवसर पर आयोजित “अंतरराष्ट्रीय भागीदारी उत्सव” के तीसरे दिन रविवार को वियतनाम और स्लोवाकिया के कलाकारों की विशेष प्रस्तुतियां आकर्षण का केन्द्र बनीं। इसके साथ ही संगीत नाटक अकादमी उ.प्र., परिसर में स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित “जनजाति स्वास्थ्य पर जागरुकता एवं समाधान” विषयक संगोष्ठी के माध्यम से संदेश दिया गया कि डिजिटल क्रान्ति के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों तक शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जनजागृति लायी जा सकती है। इस दिशा में सरकार की ओर से उठाए गए महती कदमों की भी जानकारी दी गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने हस्तशिल्प मेले का जायज़ा भी लिया।
श्वेता तिवारी के मंचीय संचालन में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में वियतनाम से आए कलाकारों की प्रस्तुतियों ने सबका दिल जीत लिया। सबसे पहली प्रस्तुति में पुरुषों ने छाते और स्त्रियों ने बांस से तैयार बड़ी सी हैट के साथ सुंदर नृत्य संयोजन पेश किया। इसमें उन्होंने विवाह से पूर्व परस्पर सम्मान और प्रेम का प्रदर्शन किया। इसमें हैट जहां नारी के सम्मान को दर्शाती थी वहीं छाता, पुरुष द्वारा संरक्षण के भाव को पेश कर रहा था।
अंतिम प्रस्तुति में कलाकारों ने ढोल के साथ सुंदर संयोजन बनाते हुए प्रभावी नृत्य किया। स्लोवाकिया का सांस्कृतिक दल मध्य यूरोप जो पारंपरिक नृत्य लेकर आया है वह स्लोवाक, हंगेरियन, रोमानियाई, यहूदी, जिप्सी, रूथेनियन संगीत और नृत्य का प्रतिनिधित्व करता है।
इस क्रम में बिहार का उरांव नृत्य, पश्चिम बंगाल का नटुआ नृत्य, केरल का इरुला नृत्य, छत्तीसगढ़ का गैण्डी नृत्य, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी-मास्क नृत्य, उत्तर प्रदेश का डोमकच-झूमर नृत्य और गुजरात के सिद्धि धमाल नृत्य भी पेश किए गए। गैंडी नृत्य में स्त्री और पुरुष कलाकारों ने बेहतर फसल की कामना के लिए किये जाने वाले नृत्य का प्रदर्शन किया।
उ.प्र. लोक एवं जनजाति कला संस्कृति संस्थान के निदेशक डॉ.अतुल द्विवेदी के अनुसार रविवारीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद सोमवार को भी उठाया जा सकेगा। मेले में आए लोगों को बांस के सामान, महेश्वरी साड़ी, गर्म कपड़े, लकड़ी के खिलौने, ढोकरा शिल्प, सिक्की और मूंज का वर्क खासा पसंद आ रहा है। इसके साथ ही उन्हें चाट, अवधी व्यंजन, चाय, कठपुतली, जनजाति बुक स्टॉल भी लुभा रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / बृजनंदन